भारत-यू.के. संबंधों का आधार — आर्थिक साझेदारी और रणनीतिक पुनर्संरेखण
🔷 भूमिका : एक नए दौर की शुरुआत
जुलाई 2025 में भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (Comprehensive Economic and Trade Agreement – CETA) पर हस्ताक्षर दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में ऐतिहासिक प्रगति का संकेत हैं।
यह समझौता केवल व्यापारिक लाभों का दस्तावेज़ नहीं, बल्कि बदलते वैश्विक आर्थिक और भू-राजनीतिक समीकरणों में एक रणनीतिक साझेदारी (Strategic Partnership) की नींव है।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर (Keir Starmer) की भारत यात्रा उस समय हुई जब विश्व अर्थव्यवस्था विखंडन, तकनीकी प्रतिस्पर्धा और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के पुनर्गठन से गुजर रही है। ऐसे में भारत-यू.के. का यह सहयोग न केवल द्विपक्षीय संबंधों के लिए बल्कि वैश्विक स्थिरता और नवाचार के लिए भी महत्वपूर्ण है।
🔶 भारत की बढ़ती आर्थिक साझेदारियाँ : वैश्विक जाल का विस्तार
भारत अब ‘आर्थिक साझेदारियों के वैश्विक नेटवर्क’ का केंद्र बनता जा रहा है।
🔹 1 अक्टूबर 2025 को, भारत का यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) के साथ व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौता (TEPA) लागू हुआ, जिसके तहत 15 वर्षों में 100 अरब डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता है।
🔹 यूरोपीय संघ (EU) के साथ भी 136.5 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार के बाद बातचीत तेजी से आगे बढ़ रही है।
🔹 अब CETA भारत की पश्चिमी साझेदारियों को और गहरा करने वाला निर्णायक कदम है।
🔷 सीईटीए की मूल भावना : समानता और अवसर
CETA का उद्देश्य केवल टैरिफ में कटौती नहीं, बल्कि रणनीतिक एकीकरण (Strategic Integration) है।
इस समझौते से 2030 तक भारत-यू.के. व्यापार को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है।
भारत को लाभ
✅ कपड़ा, कृषि, फार्मास्यूटिकल और आईटी सेवा क्षेत्रों को ब्रिटिश बाजार में अधिक पहुंच।
✅ भारतीय पेशेवरों के लिए Double Contribution Convention (DCC) के तहत दोहरे सामाजिक सुरक्षा योगदान से छूट।
✅ यू.के. को भारत में निवेश के लिए आकर्षक अवसर — विशेष रूप से विनिर्माण, वित्तीय सेवा और हरित प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में।
यू.के. को लाभ
✅ स्कॉच व्हिस्की, ऑटोमोबाइल, एविएशन और उच्च-मूल्य निर्यातों पर कम शुल्क।
✅ भारतीय बाजार तक आसान पहुंच और “मेक इन इंडिया” के तहत सह-उत्पादन अवसर।
🔶 वाणिज्य से परे : रणनीतिक रोडमैप 2035 की दिशा
यह यात्रा केवल व्यापारिक नहीं, बल्कि एक दीर्घकालिक रणनीतिक संवाद का भी हिस्सा है।
India-UK Roadmap 2035 में दोनों देशों के बीच पाँच प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग की परिकल्पना की गई है —
| क्षेत्र | सहयोग का स्वरूप |
|---|---|
| रक्षा (Defence) | संयुक्त अनुसंधान और सह-उत्पादन (Co-development) की परियोजनाएँ |
| प्रौद्योगिकी (Technology) | कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम, सेमीकंडक्टर और साइबर सुरक्षा |
| जलवायु और हरित ऊर्जा | हरित वित्त (Green Finance) और नवीकरणीय ऊर्जा निवेश |
| शिक्षा और गतिशीलता | छात्रों और पेशेवरों की पारस्परिक गतिशीलता |
| वाणिज्य और निवेश | शुल्क-मुक्त व्यापार, मानकीकरण और कौशल सहयोग |
“Technology Security Initiative (TSI)”, जो 2024 में शुरू की गई थी, दोनों देशों को संवेदनशील प्रौद्योगिकियों में साझेदारी का नया प्लेटफ़ॉर्म देती है — यह संकेत है कि अब आर्थिक और सुरक्षा क्षेत्र एक-दूसरे से अविभाज्य हो गए हैं।
🔷 यू.के.-भारत निवेश संबंध : गहराता आर्थिक ताना-बाना
- यू.के. भारत में छठा सबसे बड़ा निवेशक है, जो लगभग 5% FDI योगदान देता है।
- 2024 में ब्रिटिश निवेश का केंद्र सेवा और विनिर्माण क्षेत्र रहा।
- CETA के लागू होने से निवेश को “नियामक स्थिरता” और “प्रतिभा गतिशीलता” का अतिरिक्त बल मिलेगा।
भारतीय दृष्टिकोण से लाभ:
🇮🇳 भारतीय कंपनियाँ ब्रिटिश प्रौद्योगिकी साझेदारी से अपने उत्पादन और निर्यात मानकों को ऊँचा कर सकेंगी।
🇮🇳 भारत “ग्लोबल वैल्यू चेन हब” बनने की दिशा में मजबूत स्थिति में होगा।
🔶 भू-राजनीतिक और वैश्विक दृष्टि से महत्त्व
भारत और यू.के. का सहयोग केवल द्विपक्षीय आर्थिक लाभ तक सीमित नहीं —
यह इंडो-पैसिफिक रणनीति और ग्लोबल साउथ कूटनीति के लिए भी अहम है।
🌏 भारत के लिए — यू.के. उन्नत तकनीक, रक्षा नवाचार और वित्तीय पूंजी का केंद्र है।
🌍 यू.के. के लिए — भारत एक उभरता हुआ बाजार, कुशल श्रमिक शक्ति और इंडो-पैसिफिक में स्थिर साझेदार है।
दोनों देशों का उद्देश्य स्पष्ट है —
➡️ मुक्त, लचीली और तकनीकी रूप से सशक्त वैश्विक व्यवस्था में साझी भूमिका निभाना।
🔷 भविष्य की रूपरेखा : नीति निर्माताओं के लिए संकेत
अगली पीढ़ी की भारत-यू.के. साझेदारी का मार्गदर्शन निम्नलिखित सिद्धांतों पर आधारित होना चाहिए —
- व्यापार उदारीकरण + स्थिरता निवेश (Trade + Sustainability)
→ हरित तकनीक, कार्बन-न्यून उत्सर्जन उत्पादन और क्लीन एनर्जी इनोवेशन पर फोकस। - शुल्क कटौती + प्रतिभा गतिशीलता (Tariff + Talent Mobility)
→ भारतीय छात्रों और पेशेवरों के लिए सहज वीज़ा प्रणाली और पारस्परिक मान्यता। - रक्षा खरीद + तकनीकी सह-विकास (Defence + Co-development)
→ रक्षा उपकरणों का संयुक्त निर्माण और नवाचार को प्रोत्साहन। - डिजिटल और डेटा साझेदारी (Digital Trust Framework)
→ साइबर सुरक्षा, डेटा लोकलाइजेशन और AI नीति समन्वय।
🔶 निष्कर्ष : साझेदारी से सह-निर्माण की ओर
भारत और यूनाइटेड किंगडम का यह नया अध्याय केवल “ट्रेड डील” नहीं बल्कि “साझा विकास संधि” है।
सीईटीए और उसके पूरक समझौते आने वाले दशक में भारत को तकनीकी, निवेश और मानव पूंजी की दृष्टि से मजबूत आधार देंगे।
👉 भारत के लिए यह अवसर है —
एक वैश्विक मूल्य श्रृंखला का केंद्र बनने का।
👉 यू.के. के लिए यह अवसर है —
एशिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ स्थायी भागीदारी का।
🔸 अंततः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कीर स्टार्मर इस साझेदारी को एक संदेश के रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं —
“विश्वास, प्रौद्योगिकी और साझा प्रगति पर आधारित नया वैश्विक सहयोग मॉडल।”

