Rural Education and Youth Migration in India
Rural Education and Youth Migration in India

ग्रामीण शिक्षा और युवाओं का पलायन: भारत के विकास संतुलन की पुनर्कल्पना

🌾 Rural Education and Youth Migration in India

(ग्रामीण शिक्षा और युवाओं का पलायन – भारत की विकास चुनौती)


🧭 भूमिका (Introduction)

भारत की जनसंख्या का लगभग दो-तिहाई हिस्सा आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करता है, परंतु युवाओं का शहरों की ओर पलायन लगातार बढ़ता जा रहा है। शिक्षा और रोजगार के बीच बढ़ती खाई, ग्रामीण क्षेत्रों में सीमित अवसर, तथा शहरी आकर्षण ने इस प्रवृत्ति को तेज किया है। हाल के वर्षों में यह मुद्दा केवल रोजगार का नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था, सामाजिक ढांचे और शहरी स्थायित्व के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है।


📊 भारत में वर्तमान पलायन की स्थिति (Current Migration Status)

  • कुल पलायन: भारत की लगभग 29% जनसंख्या प्रवासी है, जिनमें से 89% ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं
  • युवा केंद्रित पलायन: लगभग 50% प्रवासी 15–25 वर्ष आयु वर्ग के हैं — जो देश की सर्वाधिक उत्पादक मानव शक्ति है।
  • लिंग आधारित असमानता: महिलाओं में 86.8% पलायन विवाह के कारण होता है, जबकि पुरुषों में मुख्य कारण रोजगार है।
  • आर्थिक प्रोफाइल: पलायन दर अधिकतर गरीब, SC और OBC वर्गों में देखी जाती है।
  • कोविड-19 प्रभाव: 2020 के लॉकडाउन में 4 करोड़ प्रवासी मजदूरों का वापस गांव लौटना शहरी अस्थिरता का प्रतीक बना।

⚙️ युवाओं के पलायन के प्रमुख कारण (Major Causes of Youth Migration)

  1. रोजगार का अभाव: ग्रामीण क्षेत्रों में गैर-कृषि नौकरियों की कमी — 49% मजदूर daily wagers और 39% short-term industrial workers हैं।
  2. शिक्षा–रोजगार असंतुलन: डिग्रियाँ व्यावहारिक नहीं; CMIE (2024) के अनुसार स्नातक बेरोजगारी दर 15% से अधिक है।
  3. आय असमानता: कृषि और ग्रामीण श्रम न्यूनतम जीवन स्तर बनाए रखने में अक्षम।
  4. कमज़ोर आधारभूत संरचना: परिवहन, ऋण और डिजिटल नेटवर्क की कमी से स्थानीय उद्यम प्रभावित।
  5. शहरी आकर्षण (Urban Pull): बेहतर आय, आधुनिक जीवनशैली और सुविधाओं की चाह, परन्तु परिणामस्वरूप असुरक्षित जीवन और शोषण।

⚠️ सामाजिक-आर्थिक प्रभाव (Socio-Economic Consequences of Migration)

प्रभावविवरण
🏙️ शहरी भीड़भाड़दिल्ली, मुंबई जैसी महानगरों में आवास संकट, झुग्गी-बस्तियाँ और प्रदूषण बढ़ा।
👷 अनौपचारिक श्रम (Informal Labour)88% प्रवासी बिना सामाजिक सुरक्षा या स्थायी रोजगार के हैं।
🌾 ग्रामीण जनसंख्या में गिरावटयुवाओं के पलायन से कृषि उत्पादकता और स्थानीय शासन कमजोर हुआ।
👩‍👩‍👧 लैंगिक असंतुलनमहिला प्रवासी अक्सर रोजगार में शामिल नहीं होतीं — निर्भरता और असमानता बढ़ती है।
💭 मनोवैज्ञानिक प्रभावपरिवार से दूरी, चिंता, अकेलापन और आर्थिक असुरक्षा में वृद्धि।

🏛️ सरकारी पहल (Government Initiatives)

  1. रोजगार व आजीविका:
    • MGNREGA – ग्रामीणों को ऑफ-सीजन में रोजगार सुनिश्चित कर distress migration घटाना।
  2. कौशल विकास:
    • DDU-GKY, PMKVY – युवाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण व स्थायी रोजगार हेतु।
  3. उद्यमिता प्रोत्साहन:
    • PM Mudra Yojana, Start-Up India, SVEP – छोटे उद्योगों को बढ़ावा।
  4. कृषि व FPO समर्थन:
    • 10,000 FPO योजना – समूह खेती, मूल्य श्रृंखला विकास और किसान आय बढ़ाना।
  5. डिजिटल व इंफ्रास्ट्रक्चर विकास:
    • BharatNet, PMGSY, Rural BPOs – डिजिटल कनेक्टिविटी और ई-मार्केट से जुड़ाव।

🔍 चुनौतियाँ (Challenges Ahead)

  • शिक्षा की गुणवत्ता और रोजगार की आवश्यकताओं में बड़ा अंतर।
  • ग्रामीण युवाओं का शहरी नौकरी संस्कृति के प्रति आकर्षण।
  • स्थानीय उद्यमों में पूंजी निवेश की कमी।
  • सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की सीमित पहुंच और पोर्टेबिलिटी का अभाव।

🌱 आगे का रास्ता (Way Forward)

  1. शिक्षा और रोजगार का एकीकरण:
    • ग्रामीण स्कूलों और कॉलेजों में agri-tech, digital literacy, और vocational training को जोड़ा जाए।
  2. गैर-कृषि क्षेत्र का विस्तार:
    • हस्तशिल्प, नवीकरणीय ऊर्जा, लॉजिस्टिक्स, और ग्रामीण पर्यटन को प्रोत्साहन।
  3. ग्रामीण डिजिटल इकोसिस्टम:
    • 5G, tele-work hubs, और e-commerce linkages से रोजगार के अवसर बढ़ाना।
  4. रिवर्स माइग्रेशन मॉडल:
    • स्थानीय सफल उद्यमियों (जैसे रायगढ़ के बालाराम बंदागले) के उदाहरणों से प्रेरणा देना।
  5. सामाजिक सुरक्षा पोर्टेबिलिटी:
    • PDS, pension, health insurance आदि का राष्ट्रीय स्तर पर एकीकृत वितरण।

🏁 निष्कर्ष (Conclusion)

भारत में पलायन को विवशता से विकल्प की दिशा में ले जाना आवश्यक है।
यदि ग्रामीण शिक्षा को रोजगारोन्मुख बनाया जाए, उद्योगों को विकेन्द्रित किया जाए, और युवाओं को स्थानीय नवाचार व उद्यमिता से जोड़ा जाए — तो न केवल ग्रामीण पलायन घटेगा, बल्कि गांव पुनर्जीवित और आत्मनिर्भर बन सकेंगे।
संतुलित ग्रामीण–शहरी विकास ही भारत के सतत और समावेशी विकास की कुंजी है।

कथन (A): भारत में युवाओं का शहरी पलायन केवल आकांक्षा नहीं बल्कि एक सामाजिक-आर्थिक विवशता है।
कारण (R): ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और रोजगार के अवसरों के बीच स्पष्ट तालमेल का अभाव है।

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए –

  1. (A) और (R) दोनों सत्य हैं, तथा (R), (A) की सही व्याख्या करता है।
  2. (A) और (R) दोनों सत्य हैं, परंतु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं करता।
  3. (A) सत्य है, परंतु (R) असत्य है।
  4. (A) असत्य है, परंतु (R) सत्य है।

(a) ग्रामीण क्षेत्रों में सम्मानजनक रोजगार के अवसरों की कमी
(b) शिक्षा और रोजगार के बीच कमजोर संबंध
(c) ग्रामीण जीवन के प्रति सांस्कृतिक आकर्षण में वृद्धि
(d) क्षेत्रीय विकास में असमानता