🇮🇳 सुरक्षित सड़कों का अधिकार — बॉम्बे हाईकोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय
(Right to Safe Roads as a Fundamental Right)
🧭 भूमिका (Introduction)
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में कहा कि “सड़कों का ठीक अवस्था में होना नागरिकों का मौलिक अधिकार है,”
जो संविधान के अनुच्छेद 21 (Right to Life) के अंतर्गत संरक्षित है।
यह फैसला 2013 में मुंबई की खराब सड़कों पर स्वतः संज्ञान (suo motu) से शुरू हुए मामले से जुड़ा था।
लेकिन इसका प्रभाव पूरे देश में सड़क निर्माण, रखरखाव और प्रशासनिक जवाबदेही पर पड़ेगा।
यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के उस दृष्टिकोण के अनुरूप है जो अनुच्छेद 21 को व्यापक रूप से
जीवन, गरिमा, सुरक्षा और बुनियादी नागरिक सुविधाओं के अधिकार के रूप में व्याख्यायित करता है।
🚧 सड़क सुरक्षा और प्रशासनिक शासन के प्रमुख आयाम (Dimensions of Road Safety and Governance)
1. प्रशासनिक आयाम (Administrative Dimension)
- सड़क निर्माण और रखरखाव कई स्तरों की जिम्मेदारी है —
राजनीतिक नेतृत्व, लोक निर्माण विभाग (PWD), नगर निकाय, और ठेकेदार सभी की अलग-अलग जवाबदेही है। - अदालत ने स्पष्ट किया कि “बारिश” या “फंड की कमी” जैसे बहाने अब स्वीकार नहीं किए जाएंगे।
- नियमित ऑडिट, पारदर्शी टेंडर प्रक्रिया और शिकायत निवारण प्रणाली को आवश्यक बताया गया है।
2. इंफ्रास्ट्रक्चर और इंजीनियरिंग आयाम (Engineering Dimension)
- भारतीय सड़कों का डिज़ाइन वाहनों-केंद्रित है, जबकि पैदल यात्री और साइकिल सवार उपेक्षित हैं।
- भारत में हर दिन लगभग 100 पैदल यात्रियों की सड़क दुर्घटनाओं में मौत होती है।
- मानसून में सड़कों का बार-बार टूटना यह दिखाता है कि सामग्री और जल निकासी डिज़ाइन कमजोर है।
- अधिकारियों का ध्यान नई सड़कों के निर्माण पर होता है, पुरानी सड़कों के रखरखाव पर नहीं।
3. कानूनी और अधिकार आयाम (Legal and Rights Dimension)
- अदालत ने सड़क सुरक्षा को मानव अधिकार (Human Right) का दर्जा दिया।
- नागरिकों को सड़क दुर्घटनाओं से नुकसान होने पर राज्य जिम्मेदार होगा — यह संवैधानिक क्षतिपूर्ति (Constitutional Compensation) मानी जाएगी।
- भले ही कार्य ठेकेदार करें, अंतिम जिम्मेदारी राज्य (State) की होगी —
यह सिद्धांत Vicarious Liability के अंतर्गत आता है। - न्यायालयों का हस्तक्षेप कार्यपालिका की निष्क्रियता के कारण आवश्यक हो गया है।
4. नीति और शासन आयाम (Policy and Governance Dimension)
- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को राष्ट्रीय पैदल यात्री सुरक्षा दिशा-निर्देश और हेलमेट प्रवर्तन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
- राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति (2010) और मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम 2019 एक कानूनी ढांचा तो देते हैं,
लेकिन कार्यान्वयन की कमी बनी हुई है। - स्मार्ट सिटी और AMRUT मिशन के तहत सड़क सुरक्षा को शहरी जीवन सूचकांक (Urban Livability Index) में शामिल किया जाना चाहिए।
- NHAI, PWD, और स्थानीय निकायों के बीच बेहतर समन्वय आवश्यक है।
5. सामाजिक और मानवीय आयाम (Social and Human Dimension)
- असुरक्षित सड़कें सबसे अधिक गरीबों, मजदूरों, डिलीवरी वर्करों और दोपहिया चालकों को प्रभावित करती हैं।
- भारत में हर वर्ष 1.68 लाख सड़क दुर्घटना मौतें दर्ज की जाती हैं (MoRTH, 2023)।
- खराब सड़कें पैदल चलने और साइकिल संस्कृति को खत्म करती हैं, जिससे स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ती हैं।
- सुरक्षित सड़कें केवल विकास का प्रतीक नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, समानता और नागरिक गरिमा का हिस्सा हैं।
⚠️ कार्यान्वयन की चुनौतियाँ (Challenges in Implementation)
- सीमित बजट और रखरखाव पर कम ध्यान।
- अदालती आदेशों के बावजूद प्रशासनिक जवाबदेही लागू नहीं होती।
- विभागों का टकराव – एक ही सड़क पर कई एजेंसियों की जिम्मेदारी।
- भ्रष्टाचार और घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग।
- सड़क स्थिति और दुर्घटना डेटा का डिजिटल रिकॉर्ड न होना।
- जनता की उदासीनता (Apathy) – शिकायत या निगरानी प्रणाली का उपयोग बहुत कम।
- जलवायु परिवर्तन और भारी ट्रैफिक सड़कों के तेजी से क्षरण का कारण।
🛣️ आगे की राह (Way Forward)
- प्रत्येक राज्य में स्वतंत्र “Urban Road Safety Authority” का गठन किया जाए।
- अधिकारियों और ठेकेदारों की जवाबदेही कानूनी रूप से तय की जाए।
- GIS आधारित निगरानी प्रणाली और मोबाइल एप से गड्ढों की रिपोर्टिंग की सुविधा दी जाए।
- सड़क डिज़ाइन में Complete Street Concept अपनाया जाए —
पैदल यात्री, साइकिल चालक और दिव्यांगजन सभी के लिए सुरक्षित व्यवस्था हो। - सड़क रखरखाव हेतु अलग फंड (Maintenance Fund) बनाया जाए।
- राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा एवं रखरखाव अधिनियम (National Road Safety & Maintenance Act) लागू किया जाए।
- जलवायु-संवेदनशील निर्माण सामग्री जैसे Cold-mix Asphalt और Permeable Pavement का उपयोग हो।
- नागरिकों को सड़क सुरक्षा और जिम्मेदार ड्राइविंग पर जागरूक किया जाए।
🌍 निर्णय का व्यापक महत्व (Wider Significance of the Ruling)
- अधिकार-आधारित दृष्टिकोण (Rights-based Shift): अब सड़कें केवल प्रशासनिक सेवा नहीं, बल्कि संवैधानिक गारंटी हैं।
- जवाबदेही की मिसाल: अधिकारियों पर अब कानूनी और वित्तीय जिम्मेदारी तय की जा सकेगी।
- स्थानीय शासन को सशक्त बनाना: नगर निकायों को नागरिक अधिकारों के अनुसार योजना बनानी होगी।
- सतत गतिशीलता (Sustainable Mobility): यह फैसला पैदल यात्रियों और साइकिल चालकों के अधिकारों को भी सशक्त बनाता है।
- न्यायिक सशक्तिकरण: अब नागरिक अदालत में जाकर सुरक्षित सड़कों की मांग मौलिक अधिकार के रूप में कर सकते हैं।
⚖️ निष्कर्ष (Conclusion)
बॉम्बे हाईकोर्ट का यह फैसला भारत में संवैधानिक शासन और नागरिक गरिमा को सशक्त करने वाला एक ऐतिहासिक कदम है।
अब यह केवल न्यायिक घोषणा न रहकर संस्थागत सुधार, जवाबदेही और नागरिक सहभागिता का आधार बनना चाहिए।
सुरक्षित सड़कों का अधिकार अब केवल विकास का मुद्दा नहीं, बल्कि
जीवन, समानता और गरिमा के मौलिक अधिकार का हिस्सा है —
जो भारत को एक जिम्मेदार और मानवीय लोकतंत्र की दिशा में आगे बढ़ाता है।
-: मुख्य परीक्षा प्रश्न :-
“बुनियादी ढांचा (Infrastructure) केवल एक प्रशासनिक सेवा नहीं, बल्कि नागरिकों के जीवन और गरिमा से जुड़ी एक संवैधानिक गारंटी है।” बॉम्बे हाईकोर्ट के “सुरक्षित सड़कों के अधिकार” संबंधी निर्णय के आलोक में इस कथन का समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द)
-: प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न :-
Q1. बॉम्बे हाईकोर्ट के हालिया निर्णय (2025) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए —
- अदालत ने कहा कि ठीक अवस्था में सड़कें नागरिकों के जीवन के अधिकार (Article 21) का हिस्सा हैं।
- यह मामला मुंबई की खराब सड़कों पर स्वतः संज्ञान (suo motu) से शुरू हुआ था।
- अदालत ने कहा कि सड़क सुरक्षा केवल नीति का विषय है, न कि संवैधानिक अधिकार।
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
Q2. “Vicarious Liability” सिद्धांत, जिसे बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले में उल्लेखित किया, का क्या तात्पर्य है?
(a) किसी व्यक्ति को उसके कार्य के लिए व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी ठहराना।
(b) राज्य को अपने अधिकारियों या एजेंटों के कार्यों के लिए जिम्मेदार ठहराना।
(c) ठेकेदार को सभी क्षतिपूर्ति से मुक्त करना।
(d) निजी कंपनियों को सड़क सुरक्षा की जिम्मेदारी देना।
Q3. भारत में सड़क सुरक्षा से संबंधित निम्नलिखित में से कौन-से प्रावधान/नीतियाँ लागू हैं?
- राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति (2010)
- मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019
- स्मार्ट सिटी मिशन
- AMRUT योजना
सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1, 2 और 3
(c) केवल 2, 3 और 4
(d) उपर्युक्त सभी
