🥗 Nutrition Needs Nuance: पोषण नीति में सूक्ष्म समझ की आवश्यकता
🔶 1. प्रस्तावना (Introduction):
लेखिका संगीता खन्ना, जो एक पोषण विशेषज्ञ (nutrition and culinary consultant) हैं, ने इस लेख में भारत की आहार नीति और पोषण पर सरकारी अध्ययनों की सीमाओं पर सवाल उठाया है।
उनका मुख्य तर्क यह है कि —
“भारत में पोषण से जुड़ी नीतियाँ और अध्ययन प्रायः केवल कार्बोहाइड्रेट और कैलोरी पर केंद्रित होते हैं, जबकि असली समस्या है — असंतुलित आहार प्रणाली, खाद्य प्रसंस्करण (processed food), और बदलती कृषि अर्थव्यवस्था।”
🔷 2. संदर्भ (Context):
यह लेख Indian Express के “Dear Editor, I Disagree” कॉलम में प्रकाशित हुआ था, जिसमें लेखिका ने ICMR और Madras Diabetes Research Foundation द्वारा किए गए अध्ययन (“Ways of Eating”) के निष्कर्षों पर असहमति व्यक्त की।
इस अध्ययन में कहा गया था कि भारतीयों की कुल कैलोरी का 62% हिस्सा कार्बोहाइड्रेट से आता है, और इसे मधुमेह व मोटापे का मुख्य कारण बताया गया।
परंतु लेखिका कहती हैं कि —
- यह निष्कर्ष अधूरा और सरलीकृत (oversimplified) है,
- और यह भारत की वास्तविक खाद्य विविधता और उपभोग व्यवहार को नजरअंदाज करता है।
🔶 3. मुख्य तर्क (Main Arguments):
📍 (a) अपूर्ण डेटा और गलत निष्कर्ष (Faulty Data & Misinterpretation):
लेखिका के अनुसार, अध्ययन में हाई-फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप (HFCS) और सॉफ्ट ड्रिंक्स जैसे नए कार्बोहाइड्रेट स्रोतों को शामिल नहीं किया गया है,
जो आज भारत के शहरी उपभोग (Urban Consumption) का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
इसलिए यह कहना कि “भारतीय कार्बोहाइड्रेट ज्यादा खाते हैं” —
सिर्फ आधे सच को दिखाता है।
असल समस्या है – Refined, Processed, Sugar-rich foods, न कि Rice या Wheat स्वयं।
📍 (b) ‘एक देश – एक आहार नीति’ की भूल (The Myth of Uniform Nutrition Policy):
भारत जैसे विविध देश में भोजन संस्कृति क्षेत्र, जलवायु और आर्थिक स्थिति के अनुसार बदलती है —
- दक्षिण में चावल,
- उत्तर में गेहूं,
- पूर्व में मछली व चावल,
- पश्चिम में दालें, बाजरा, और दूध –
हर क्षेत्र की पोषण संरचना अलग है।
इसलिए पूरे देश के लिए एक समान पोषण समाधान (One-size-fits-all) बनाना न केवल वैज्ञानिक रूप से गलत, बल्कि नीतिगत रूप से जोखिमपूर्ण है।
📍 (c) बदलती खाद्य संस्कृति और लाइफस्टाइल (Changing Food Culture & Lifestyle):
- भारत में पिछले 30 वर्षों में अनाज की खपत घट रही है (13.4kg से 10.8kg प्रति व्यक्ति)।
- परंतु कैलोरी intake बढ़ रही है, जिसका अर्थ है कि लोग ज्यादा energy dense but less nutritious food खा रहे हैं।
- यह मेटाबॉलिक डिज़ऑर्डर (Metabolic Disorders) जैसे डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, मोटापा और हार्ट डिजीज़ की जड़ है।
लेखिका कहती हैं —
“It’s not about carbs; it’s about the kind of carbs we consume.”
📍 (d) खाद्य उद्योग और कृषि नीति का असंतुलन (Food Industry & Agri-Policy Imbalance):
- आज सरकारें और उद्योग processed plant-based protein foods को बढ़ावा दे रहे हैं,
जबकि स्थानीय कृषि, मोटे अनाज, दालों और सब्जियों को उपेक्षित किया जा रहा है। - परिणामस्वरूप —
- किसान बाजरा और दालें छोड़कर व्यावसायिक फसलों पर निर्भर हो रहे हैं।
- उपभोक्ता अस्थायी “Protein Drinks” और “Snack Bars” को पोषण का विकल्प मान रहे हैं।
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी पर दबाव बढ़ रहा है।
🔶 4. तथ्य और आंकड़े (Data & Trends):
| पहलू | 1993–94 | 2025 | परिवर्तन |
|---|---|---|---|
| ग्रामीण क्षेत्र में अनाज खपत | 13.4 kg | 10.8 kg | घटाव |
| शहरी क्षेत्र में अनाज खपत | 9.4 kg | 8.1 kg | घटाव |
| औसत कैलोरी सेवन (Kcal/day) | 2230 | 2472 | वृद्धि |
| HFCS और सॉफ्ट ड्रिंक्स का उपयोग | नगण्य | तेज वृद्धि | चिंता का विषय |
निष्कर्ष:
लोग कम अनाज, अधिक जंक फूड खा रहे हैं — जिससे “छिपी हुई भूख” (Hidden Hunger) और Lifestyle Diseases दोनों बढ़ रहे हैं।
🔶 5. UPSC दृष्टिकोण से महत्व (Relevance for UPSC):
| आयाम | विषय | UPSC पेपर | प्रासंगिक बिंदु |
|---|---|---|---|
| पोषण नीति | POSHAN Abhiyaan, NFSA, Food Fortification | GS Paper 2 | Public Health, Welfare Policy |
| कृषि और खाद्य सुरक्षा | Crop Diversification, MSP, Millets Mission | GS Paper 3 | Agriculture & Nutrition Link |
| समाज | Lifestyle & Health | GS Paper 1 | Social Issues |
| अर्थव्यवस्था | Processed Food Industry | GS Paper 3 | Food Processing & Employment |
| पर्यावरण | Sustainable Diets | GS Paper 3 | Ecology & SDGs |
🔶 6. अतिरिक्त जानकारी (Value Addition for UPSC Mains):
🧩 (a) Global Reference:
- FAO & WHO (2021): “Nutrition transition in developing nations is leading to dual burden — undernutrition & overnutrition.”
- भारत इसका क्लासिक उदाहरण है:
ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषण और शहरी क्षेत्रों में मोटापा दोनों साथ मौजूद हैं।
🌾 (b) राष्ट्रीय योजनाएँ (Government Initiatives):
- POSHAN 2.0 (2021): मातृ एवं बाल पोषण को समग्र दृष्टि से देखना।
- Millet Mission (2023): भारत को “Millet Capital of the World” बनाना।
- Food Fortification Initiative: नमक, चावल, तेल में सूक्ष्म पोषक तत्व जोड़ना।
- Eat Right India Movement (FSSAI): लोगों में पोषण और स्वस्थ आहार की समझ बढ़ाना।
- Mid-Day Meal (PM POSHAN): बच्चों में पोषण सुधार के लिए स्कूल भोजन योजना।
🧠 (c) UPSC उत्तर लेखन के लिए Quote:
“Food is not just fuel — it is the foundation of public health, economy, and ecology.”
🔶 7. विश्लेषणात्मक मूल्यांकन (Analytical Evaluation):
👍 सकारात्मक पक्ष:
- लेखिका ने नीति निर्माताओं को क्षेत्रीय पोषण और बाजार पैटर्न को समझने की सलाह दी है।
- उन्होंने “खाद्य विविधता” को “पोषण सुरक्षा” का केंद्र बिंदु बताया है।
👎 सीमाएँ:
- लेखिका ने सरकारी पहलों जैसे POSHAN 2.0 और Fortification का उल्लेख नहीं किया।
- “प्रोसेस्ड फूड” पर अधिक आलोचनात्मक रुख अपनाया गया है, जबकि कुछ खाद्य प्रसंस्करण (जैसे दाल मिक्स, फोर्टिफाइड अनाज) उपयोगी भी हैं।
🔶 8. नीति सुझाव (Policy Suggestions):
- “One Nation – Many Diets” Approach:
क्षेत्रीय विविधता और जलवायु के अनुसार पोषण नीति बनाना। - Local Food Ecosystem Strengthening:
स्थानीय अनाज, दालें, सब्जियाँ और फलों को PDS व स्कूल भोजन में शामिल करना। - Nutritional Literacy:
स्कूलों और समुदायों में पोषण शिक्षा कार्यक्रम अनिवार्य करना। - Discouraging Processed Sugars:
HFCS और ultra-processed foods पर टैक्स बढ़ाना (जैसे “Sugar Tax”). - Integrating Farmers with Nutrition Goals:
“Nutri-crop based farming” को कृषि नीति का हिस्सा बनाना।
🔶 9. निष्कर्ष (Conclusion):
भारत की पोषण नीतियों को केवल “कैलोरी” के दृष्टिकोण से नहीं बल्कि संतुलित, स्थानीय और टिकाऊ खाद्य प्रणाली (Sustainable Food System) के परिप्रेक्ष्य से देखना होगा।
पोषण एक वैज्ञानिक विषय ही नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और पारिस्थितिक नीति का केंद्र है।
“Food Security must evolve into Nutrition Security — because health is not about eating more, it’s about eating right.”
🧩 UPSC Practice Question:
प्रश्न: “भारत में पोषण और कृषि नीति को एकीकृत करने की आवश्यकता क्यों है? बदलती खाद्य आदतों और जीवनशैली के संदर्भ में चर्चा कीजिए।” (Why is there a need to integrate India’s nutrition and agricultural policies? Discuss in the context of changing food habits and lifestyle patterns.)
संकेत बिंदु (Answer Framework):
- Introduction: Dual burden of malnutrition
- Body: Data, regional diet diversity, processed food rise
- Link: Agriculture policy bias toward cereals
- Govt steps: POSHAN 2.0, Eat Right India, Millet Mission
- Conclusion: Nutrition must become a national priority

