🌎 आर्कटिक सील्स और पक्षियों पर मंडराया खतरा — IUCN की नई ‘Red List’ ने खोला जलवायु संकट का सच
📜 स्रोत: the Hindu-14th Oct 2025
📅 विषय: पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी (Environment & Ecology)
🔷 समाचार का सार (News Summary)
अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने अपनी नवीनतम ‘रेड लिस्ट ऑफ थ्रेटेंड स्पीशीज़’ (Red List of Threatened Species) जारी करते हुए
चेतावनी दी है कि आर्कटिक क्षेत्र के सील (Seals) और कई पक्षी (Birds) तेजी से विलुप्ति की ओर बढ़ रहे हैं।
इस सूची के अनुसार,
- Hooded Seal (हुडेड सील) को Vulnerable से बदलकर Endangered (लुप्तप्राय) घोषित किया गया है।
- जबकि Bearded और Harp Seals को Near Threatened श्रेणी में रखा गया है।
IUCN की रिपोर्ट के अनुसार,
“जलवायु परिवर्तन और मानव गतिविधियाँ आर्कटिक क्षेत्र के पारिस्थितिक तंत्र को असंतुलित कर रही हैं,
और यह बदलाव उन जीवों के अस्तित्व के लिए गंभीर खतरा है जो बर्फ और ठंडे समुद्री पर्यावरण पर निर्भर हैं।”
🔹 मुख्य समाचार बिंदु (Key Highlights of the Report)
1. 🌡️ जलवायु परिवर्तन की गति चार गुना तेज़
IUCN के अनुसार,
“आर्कटिक क्षेत्र में ग्लोबल वार्मिंग की गति दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में चार गुना अधिक है।”
इसका सीधा असर समुद्री बर्फ (Sea Ice) की मात्रा और अवधि पर पड़ा है, जो अब हर वर्ष तेजी से घट रही है।
जहाँ कभी साल में पाँच महीने तक बर्फ जमी रहती थी, अब कई हिस्से पूरी तरह से बर्फ-मुक्त (Ice-free) हो चुके हैं।
इससे सील्स और समुद्री पक्षियों के आवास (Habitat) नष्ट हो रहे हैं।
2. 🦭 सील्स – पारिस्थितिकी तंत्र के ‘Keystone Species’
सील्स केवल समुद्री जीव नहीं, बल्कि समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की आधारभूत प्रजातियाँ (Keystone Species) हैं।
वे समुद्री भोजन श्रृंखला (Food Chain) में संतुलन बनाए रखती हैं —
मछलियों, क्रस्टेशियंस, और अन्य जलीय जीवों की आबादी को नियंत्रित करती हैं।
अब जब उनकी संख्या घट रही है, पूरा पारिस्थितिकी तंत्र असंतुलित हो रहा है।
वैज्ञानिक किट कोवाक्स (Kit Kovacs) के अनुसार:
“सील्स समुद्री पोषक तत्वों के पुनर्चक्रण और बर्फीले समुद्री पारिस्थितिकी के स्थायित्व के लिए आवश्यक हैं। उनकी कमी समुद्र के स्वास्थ्य को कमजोर कर रही है।”
3. 🐦 पक्षियों के लिए खतरा – वनों की कटाई और कृषि विस्तार
IUCN रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि
वनों की कटाई, कृषि भूमि का विस्तार, और लॉगिंग जैसी गतिविधियों से पक्षियों के आवास नष्ट हो रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार:
- 61% पक्षी प्रजातियों की जनसंख्या घट रही है।
- यह आँकड़ा 2016 के 44% से काफी अधिक है — यानी स्थिति और भी खराब हो गई है।
अफ्रीका, मडागास्कर और मध्य अमेरिका में कई नई पक्षी प्रजातियों को Vulnerable या Near Threatened श्रेणी में रखा गया है।
4. 🌊 मानव गतिविधियाँ और औद्योगिक खतरे
रिपोर्ट में कहा गया है कि सील्स और पक्षियों के लिए सबसे बड़ा खतरा है —
मानव गतिविधियाँ (Human Interference):
- समुद्री यातायात (Maritime Traffic)
- औद्योगिक मत्स्यन (Industrial Fishing)
- तेल और गैस उत्खनन (Oil Extraction)
- खनन (Mining)
- शोर और जल प्रदूषण (Noise & Water Pollution)
इन कारणों से इन प्रजातियों के प्राकृतिक प्रवास मार्ग (Migration Routes) और भोजन स्रोत (Food Sources) दोनों प्रभावित हुए हैं।
5. 📊 IUCN Red List के नए आँकड़े (2025 Update)
| श्रेणी | विवरण |
|---|---|
| कुल सूचीबद्ध प्रजातियाँ | 1,72,620 |
| खतरे में (Threatened) | 48,646 |
| आकलित पक्षी प्रजातियाँ | 11,185 |
| इनमें संकटग्रस्त | 1,256 (11.5%) |
| घटती जनसंख्या वाले पक्षी | 61% (2016 में 44%) |
👉 ये आँकड़े बताते हैं कि पृथ्वी पर हर पाँच में से एक प्रजाति खतरे में है।
6. 🐢 एक अच्छी खबर – Green Turtle की वापसी
रिपोर्ट में एक सकारात्मक उदाहरण भी सामने आया है —
Green Turtle (हरा समुद्री कछुआ) अब Endangered सूची से बाहर हो गया है।
IUCN ने बताया कि पिछले पाँच दशकों में लगातार संरक्षण प्रयासों के चलते
इसकी आबादी में 28% की वृद्धि हुई है।
यह दर्शाता है कि यदि संरक्षण नीति दीर्घकालिक और प्रभावी हो,
तो प्रजातियों को बचाया जा सकता है।
🔹 विशेषज्ञों की टिप्पणी (Expert Opinion)
IUCN की डायरेक्टर जनरल ग्रेथल एग्यूलर ने कहा —
“यह रिपोर्ट इस बात का प्रमाण है कि मानव गतिविधियाँ प्रकृति और जलवायु को अभूतपूर्व रूप से प्रभावित कर रही हैं।
हमें इस चेतावनी को गंभीरता से लेना चाहिए।”
वहीं मरीन रिसर्च फाउंडेशन के निदेशक निकोलस पिल्चर ने कहा —
“संरक्षण में मिली सफलता हमें आत्मसंतुष्ट नहीं बनानी चाहिए। यह केवल शुरुआत है, अंत नहीं।”
🔹 विश्लेषण (Analysis)
- आर्कटिक का तेजी से बदलता स्वरूप
ग्लोबल वार्मिंग के कारण आर्कटिक क्षेत्र में समुद्री बर्फ घटने से समुद्र-स्तर बढ़ रहा है।
यह न केवल सील्स या पक्षियों के लिए बल्कि पूरे ग्रह के लिए खतरा है। - जलवायु परिवर्तन का वैश्विक असर
आर्कटिक में हो रहा पिघलाव, दक्षिण एशिया और प्रशांत द्वीपों तक के मौसम चक्र को प्रभावित कर रहा है।
इससे मानसून, समुद्र-स्तर और तापमान पैटर्न बदल रहे हैं। - संरक्षण की दिशा में आवश्यक कदम:
- औद्योगिक गतिविधियों पर नियंत्रण
- समुद्री प्रदूषण पर रोक
- आर्कटिक क्षेत्रों में बफर जोन
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग से संरक्षण परियोजनाएँ
🧠 प्रतियोगी परीक्षा हेतु मुख्य तथ्य (Exam-Oriented Facts)
| प्रश्न | उत्तर |
|---|---|
| रिपोर्ट जारी करने वाली संस्था | IUCN (International Union for Conservation of Nature) |
| स्थापना वर्ष | 1948 |
| मुख्यालय | ग्लैंड, स्विट्जरलैंड |
| नई रेड लिस्ट में कुल प्रजातियाँ | 1,72,620 |
| खतरे में प्रजातियाँ | 48,646 |
| आर्कटिक में खतरे में प्रजातियाँ | Hooded, Bearded, Harp Seals |
| सबसे तेज़ ग्लोबल वार्मिंग वाला क्षेत्र | Arctic (4 गुना तेज़) |
| सकारात्मक उदाहरण | Green Turtle (जनसंख्या में 28% वृद्धि) |
| विषय | पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी / जैव विविधता संरक्षण |
| संबंधित परीक्षा क्षेत्र | UPSC GS Paper 3, Environment Section (UPPSC, MPPSC, BPSC आदि) |
🌱 निष्कर्ष (Conclusion)
IUCN की यह रिपोर्ट केवल आर्कटिक क्षेत्र की नहीं, बल्कि पूरी पृथ्वी की चेतावनी है।
जलवायु परिवर्तन अब भविष्य की समस्या नहीं — यह वर्तमान का संकट है।
यदि मानवता ने अपने विकास की दिशा नहीं बदली, तो “Red List” एक दिन हमारे अस्तित्व की सूची बन सकती है।

