India’s Record-Low Inflation in September 2025
India’s Record-Low Inflation in September 2025

India’s Record-Low Inflation in September 2025

✍️ भूमिका (Introduction)

सितंबर 2025 में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति (CPI आधारित) घटकर 1.5% पर आ गई — यह जून 2017 के बाद का सबसे निम्न स्तर (99 महीनों में सबसे कम) है।
यह FY 2025–26 में दूसरा अवसर है जब मुद्रास्फीति दर RBI के 2–6% के लक्षित दायरे से नीचे रही है।

इस गिरावट का मुख्य कारण खाद्य वस्तुओं में अपस्फीति (deflation) रहा, जिसने कच्चे तेल और सोने की बढ़ती कीमतों के प्रभाव को संतुलित कर दिया।
हालांकि, कोर मुद्रास्फीति (Core Inflation) का लगातार 4% से ऊपर रहना इस बात का संकेत है कि मूल्य दबाव (price pressures) अब भी मौजूद हैं।
यह स्थिति एक ओर उपभोक्ताओं के लिए राहत है, वहीं दूसरी ओर नीतिनिर्माताओं के लिए चुनौती भी प्रस्तुत करती है।


📘 मुख्य शब्दों की समझ (Understanding Key Terms)

शब्दअर्थ
Headline Inflation (CPI)उपभोक्ता टोकरी (food, fuel, services आदि) में समग्र मूल्य वृद्धि को मापता है।
Core Inflationभोजन और ईंधन जैसे अस्थिर घटकों को छोड़कर स्थायी मूल्य दबाव को दर्शाता है।
Super-Core Inflationइसमें आवास और अस्थायी घटक भी निकाल दिए जाते हैं, जिससे वास्तविक प्रवृत्ति पता चलती है।
Base Effectजब पिछले वर्ष की कीमतें असामान्य रूप से ऊँची रही हों, तो तुलनात्मक रूप से मुद्रास्फीति कम दिखाई देती है।
Comfort Zone (RBI)RBI का मुद्रास्फीति लक्ष्य 2% से 6% के बीच है, जिसमें 4% स्थिरता का मध्य बिंदु माना जाता है।

🍅 मुद्रास्फीति इतनी तेज़ी से क्यों घटी? (Why Did Inflation Decline So Sharply?)

🥦 1. खाद्य अपस्फीति (Food Deflation) — मुख्य कारण

  • सब्जियों की कीमतों में 21% और दालों में 15% की गिरावट दर्ज हुई।
  • Consumer Food Price Index (CFPI) में 2% से अधिक की गिरावट आई, जिससे CPI तेजी से नीचे गया।
  • बेहतर मानसून, प्रचुर फसल उत्पादन और ग्रामीण आपूर्ति शृंखला की दक्षता ने प्रमुख भूमिका निभाई।
  • सरकारी हस्तक्षेप जैसे बफर स्टॉक रिलीज़, प्याज निर्यात पर रोक और लक्षित सब्सिडी ने मूल्य स्थिरता में योगदान दिया।

📉 2. अनुकूल आधार प्रभाव (Favourable Base Effect)

  • सितंबर 2024 में खाद्य मुद्रास्फीति ऊँची थी क्योंकि वर्षा असमान और आपूर्ति बाधित थी।
  • इससे इस वर्ष की तुलना में गिरावट और अधिक दिखाई दी।
  • इस Base Effect ने कुल 1.5% गिरावट में लगभग आधा योगदान दिया।

💸 3. GST दरों में कटौती (GST Rationalisation)

  • 22 सितंबर 2025 से GST परिषद ने कई आवश्यक वस्तुओं पर कर दरें घटाईं।
  • इससे उपभोक्ता कीमतों में गिरावट आई और CPI में नीचे की प्रवृत्ति और मजबूत हुई।

🚜 4. ग्रामीण बनाम शहरी अंतर (Rural vs Urban Divergence)

  • ग्रामीण मुद्रास्फीति शहरी क्षेत्रों से कम रही क्योंकि ग्रामीण परिवारों का अधिक खर्च भोजन पर होता है।
  • यह ग्रामीण आपूर्ति श्रृंखला की दक्षता और लॉजिस्टिक लागत में कमी को दर्शाता है।

🛢️ 5. स्थिर ईंधन मूल्य (Stable Crude Oil Pass-Through)

  • वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें 18% बढ़ीं, लेकिन घरेलू स्तर पर एक्साइज कटौती और स्थिर विनिमय दर के कारण प्रभाव सीमित रहा।
  • परिणामस्वरूप ईंधन मुद्रास्फीति का CPI पर न्यूनतम असर पड़ा।

⚠️ चौंकाने वाला पहलू — कोर मुद्रास्फीति में वृद्धि (The Surprise Element – Rise in Core Inflation)

🔹 लगातार ऊँची कोर मुद्रास्फीति (Persistent Core Inflation)

  • कोर मुद्रास्फीति अगस्त के 4.2% से बढ़कर सितंबर में 4.6% पर पहुँच गई।
  • लगातार आठ महीनों से 4% से ऊपर बनी हुई है, जो मांग आधारित दबाव (demand-side pressures) को दर्शाता है।

🪙 सोना और आवास महँगे (Gold and Housing Inflation)

  • सोने की कीमतें 45% तक बढ़ीं, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के बीच सुरक्षित निवेश के चलते।
  • आवास किराया और निर्माण लागत में वृद्धि से शहरी मुद्रास्फीति बढ़ी।

📊 यहाँ तक कि सोने को निकालने पर भी वृद्धि (Even Excluding Gold)

  • ICICI Securities के अनुसार, सोने को छोड़ने पर भी कोर मुद्रास्फीति 3.2% → 3.7% तक बढ़ी।
  • इसका अर्थ है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, मनोरंजन जैसी सेवाओं में भी मूल्य दबाव बढ़ रहा है।

💼 Super-Core Inflation बढ़ी (Super-Core Inflation)

  • खाद्य, ईंधन, सोना और आवास को छोड़कर Super-Core मुद्रास्फीति 3.3% से 3.9% तक पहुँची।
  • यह अर्थव्यवस्था में गहरे और स्थायी मांग दबावों को उजागर करती है।

📈 व्यापक आर्थिक प्रभाव (Broader Economic Impact)

  • उपभोक्ताओं के लिए राहत:
    भोजन सस्ता होने से वास्तविक आय (real income) बढ़ी, विशेषकर ग्रामीण परिवारों में।
  • विकास के लिए प्रोत्साहन:
    कम मुद्रास्फीति से उधारी की लागत घटती है, जिससे निवेश और उपभोग दोनों को बल मिलता है।
  • क्षेत्रीय प्रभाव:
    • कृषि: खाद्य अपस्फीति से किसानों की आय प्रभावित हो सकती है — इसलिए MSP और सरकारी खरीद समर्थन की आवश्यकता होगी।
    • रियल एस्टेट: आवासीय मांग बढ़ी है, लेकिन निर्माण सामग्री महँगी होने से लागत बढ़ी।
    • वित्तीय बाजार: बांड यील्ड में गिरावट दिखी, जिससे RBI द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें बढ़ीं।

🌍 वैश्विक जोखिम (Global and External Risks)

  • यूक्रेन और पश्चिम एशिया में तनाव से वैश्विक ऊर्जा कीमतें बढ़ सकती हैं।
  • अमेरिकी फेडरल रिजर्व की कठोर मौद्रिक नीति से रुपया प्रभावित हो सकता है।
  • ट्रेड नीतियाँ और अमेरिकी टैरिफ़ (Trump Administration) से वैश्विक कीमतों में अस्थिरता आ सकती है।
  • जलवायु परिवर्तन या एल नीनो प्रभाव फिर से खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ा सकते हैं।

मुख्य चुनौतियाँ (Challenges Ahead)

  1. खाद्य मूल्य अस्थिरता: असमान वर्षा या फसल विफलता से मूल्य फिर बढ़ सकते हैं।
  2. चिपकी कोर मुद्रास्फीति: गैर-खाद्य क्षेत्रों में संरचनात्मक समस्याएँ बनी हुई हैं।
  3. आंकड़ों का आधार प्रभाव: कम दर आंशिक रूप से पिछले ऊँचे आधार का परिणाम है।
  4. मांग पुनरुत्थान: यदि मांग आपूर्ति से तेज़ बढ़ी तो मुद्रास्फीति लौट सकती है।
  5. राजकोषीय जोखिम: अधिक सरकारी उधारी या खर्च मुद्रास्फीति को बढ़ा सकता है।

🔮 आगामी महीनों का दृष्टिकोण (Outlook for Coming Months)

  • अक्टूबर 2025 की मुद्रास्फीति लगभग 0.2% रहने का अनुमान है।
  • यह RBI के Q3 FY26 लक्ष्य से नीचे रह सकती है।
  • कोर मुद्रास्फीति (4.5%) अभी भी नीति-निर्माताओं के लिए चिंता का विषय बनी रहेगी।
  • यदि कोई वैश्विक आपूर्ति झटका न आया तो मार्च 2026 तक मुद्रास्फीति 3–4% के बीच स्थिर रह सकती है।

🛠️ आगे की राह (Way Forward)

निगरानी: RBI और सरकार को CPI और Core दोनों घटकों पर सतत निगरानी रखनी होगी।
सप्लाई चेन सुधार: भंडारण, लॉजिस्टिक्स और कृषि अवसंरचना में निवेश बढ़ाएँ।
डेटा पारदर्शिता: रीयल-टाइम CPI और उप-घटक डेटा से नीतियाँ अधिक सटीक बनेंगी।
राजकोषीय अनुशासन: लोकलुभावन खर्च से बचें और FRBM लक्ष्यों पर कायम रहें।
आयात विविधीकरण: ऊर्जा और खाद्य स्रोतों का विविधीकरण करें ताकि वैश्विक झटकों से बचा जा सके।
संचार रणनीति: RBI को मुद्रास्फीति पर जन-अपेक्षाओं को स्थिर रखने के लिए स्पष्ट संवाद बनाए रखना चाहिए।


🧭 निष्कर्ष (Conclusion)

सितंबर 2025 की 1.5% की ऐतिहासिक न्यूनतम मुद्रास्फीति दर तत्काल राहत तो देती है,
परंतु दीर्घकालिक रूप से यह सतर्कता का संकेत भी है।
भारत की मुद्रास्फीति प्रवृत्ति जटिल है — जहाँ आपूर्ति झटके, मांग वृद्धि और वैश्विक अस्थिरता लगातार एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं।
चुनौती यह है कि विकास और मूल्य स्थिरता के बीच संतुलन बनाए रखा जाए,
ताकि अस्थायी राहत नीतिगत आत्मसंतोष में न बदल जाए।


🎯 UPSC Mains Relevance

📍 GS Paper 3: भारतीय अर्थव्यवस्था, विकास और मुद्रास्फीति
📍 GS Paper 2: सरकार की नीति निर्माण एवं आर्थिक प्रशासन
📍 Essay Paper: “Inflation Control and Growth Trade-off in Developing Economies”