भारत का मानसिक स्वास्थ्य संकट
परिचय
मानसिक स्वास्थ्य केवल व्यक्तिगत दुःख की परिष्कृत परत नहीं है — यह सामाजिक स्वास्थ्य, आर्थिक उत्पादकता और राष्ट्र-सुरक्षा का सवाल भी है। पिछले कुछ वर्षों में भारत में मानसिक बीमारियों और आत्महत्या के संकेत चिंताजनक रूप से बढ़े हैं; फिर भी हमारी नीतियाँ, संसाधन और संस्थागत क्षमता इस बोझ को संभालने के लिए अपर्याप्त साबित हो रही हैं। NCRB समेत हालिया रिपोर्ट बताती हैं कि आत्महत्या के आंकड़े उच्चतम स्तर पर पहुँच रहे हैं, जो समाज के अलग-अलग वर्गों पर असर डाल रहे हैं। Down To Earth+1
स्थिति का जायजा — आँकड़े और असमानताएँ
- आत्महत्या में वृद्धि: NCRB की रिपोर्टों और विश्लेषणों से यह स्पष्ट हुआ है कि 2022-23 में आत्महत्याओं की संख्या और कुछ कारणों (बीमारियाँ, पारिवारिक तनाव, रोजगार-संबंधी तबाही) से होने वाली घटनाएँ चिंताजनक रुझान दिखाती हैं; 2023 में कुछ श्रेणियों में वृद्धि दर्ज की गई। Down To Earth+1
- कुशल जनशक्ति की कमी: भारत में मनोचिकित्सकों, मनोवैज्ञानिकों और सामाजिक-मनोवैज्ञानिक कार्यकर्ताओं की संख्या WHO मानकों से बहुत कम है; रिपोर्टें बताती हैं कि देश में प्रति 1 लाख जनसंख्या पर मनोचिकित्सकों की संख्या 0.75 के आसपास मापी गई, जबकि WHO का सुझाव करीब 3 प्रति 1 लाख है। यही संसाधन-घाटा उपचार-विकास के रास्ते रुकने का प्रमुख कारण है। Ministry of Health and Family Welfare
- जियो-लोकल असमानता: शहरी इलाकों में सेवा-केंद्र सीमित हैं पर ग्रामीण और पिछड़े राज्यों में उपलब्धता और भी कम है — जिला स्तर पर NMHP/DMHP का कवरेज घटता दिखता है और स्टाफ का अभाव बड़ा मसला है। PMC
नीतिगत ढाँचे: उपलब्धियाँ और सीमाएँ
- Mental Healthcare Act, 2017 (MHCA): यह कानून पर्सन्स-विथ-मेंटल-इलनेस के अधिकारों पर केंद्रित है; पर लागू करने में चुनौती यह है कि कानून स्थानीय स्वास्थ्य व्यवस्था, वित्तीय संसाधन और प्रैक्टिस-गाइडलाइन्स पर निर्भर है। अदालत-सम्मत अधिकार दिए गए, पर सेवा-वितरण अभी भी सीमित है। PMC
- राष्ट्रीय पहलें और डिजिटलीकरण: हाल के वर्षों में केंद्र ने National Tele-Mental Health Programme (Tele-MANAS / NTMHP) जैसे प्रोजेक्ट्स की शुरुआत की है, और Tele-MANAS ऐप, टेली-काउन्सलिंग हब तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के एकीकरण के प्रयास हुए हैं — ये स्वागतयोग्य कदम हैं पर उनकी पहुँच, क्वालिटी और निगरानी-मैकेनिज्म पर काम ज़रूरी है। Ministry of Health and Family Welfare+1
बुनियादी कारण (Root Causes) — व्यापक परिप्रेक्ष्य
- सामाजिक-आर्थिक दबाव: बेरोज़गारी, कर्ज, असमानता, शहरीकरण की अलगाव भावना और अति-प्रतिस्पर्धा युवा मानसिक स्वास्थ्य पर भारी असर डालती है।
- संस्कृति और कलंक (Stigma): मानसिक रोगों को अभी भी कई समुदायों में अनैच्छिक और अपमानजनक माना जाता है — लोग इलाज लेने से हिचकते हैं।
- स्वास्थ्य प्रणाली का फ्रैगमेंटेशन: प्राथमिक स्वास्थ्य से मनो-स्वास्थ्य का समन्वय कमजोर है; जिले स्तर पर विशेषज्ञों की कमी और रेफ़रल-लिंक नदारद हैं।
- डेटा-वैकेंसी: विस्तृत, ताज़ा, और डिसएग्रीगेटेड डेटा का अभाव नीतिगतिक निर्णयों में बाधा है — NCRB-आधारित आँकड़े घटनाएँ दिखाते हैं पर मानसिक रोग-बोझ का समग्र चित्र नहीं देते। CMHLP+1
क्या सुधार आवश्यक हैं? — प्रायोरिटाइज़्ड नीति-सूची (Actionable Roadmap)
(नीति-निर्माताओं और परीक्षा-उत्तर के लिए सीधे उपयोगी बिन्दु)
- मानव संसाधन विकास (Scale up workforce)
- मेडिकल/नर्सिंग/मनोवैज्ञानिक पाठ्यक्रमों में सीटें बढ़ाएँ; इन-सर्विस ट्रेनिंग के माध्यम से सामान्य चिकित्सकों को मानसिक स्वास्थ्य-प्राथमिक उपचार (mhGAP style) का प्रशिक्षण दें।
- लक्ष्य: WHO-लक्षित psychiatrists ≥ 3 प्रति 100,000 का चरणबद्ध रोडमैप तय करें। Ministry of Health and Family Welfare
- प्राथमिक स्वास्थ्य के साथ एकीकरण (Integrate into PHC)
- District Mental Health Programme (DMHP) को मज़बूत कर के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर काउन्सलिंग, दवा और रेफ़रल उपलब्ध कराएँ; टेली-मानस का इस्तेमाल तीव्रता और दूरदराज कवरेज के लिए करें। PMC+1
- डिजिटल और टेली-हेल्थ का विज्ञानिक विस्तार
- Tele-MANAS जैसी पहलें उपयोगी हैं — पर उनकी गुणवत्ता नियंत्रण, डेटा-प्राइवेसी, स्थानीय भाषा-समर्थन और आकस्मिक बिंदुओं (suicide risk triage) के लिए SOP अनिवार्य करें। Ministry of Health and Family Welfare
- सामाजिक सुरक्षा और आर्थिक निवारक नीति
- कर्ज-पुनर्संरचना, बेरोज़गारी भत्ता, शिक्षा-वकालत और युवा केंद्रित रोजगार योजनाओं से मानसिक तनाव घटाएँ—क्योंकि सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा सीधे मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालती है।
- स्टिग्मा-रिडक्शन और स्कूल-आधारित कार्यक्रम
- स्कूल/कॉलेजों में मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा, त्यौहार-अनुकूल सहारा और हेल्प-लाइन्स की व्यवस्था। समुदाय-आधारित जागरूकता अभियान।
- रिसर्च, डेटा और निगरानी
- राष्ट्रीय स्तर पर मानसिक रोगों के सर्वे (disaggregated by age, gender, occupation) और suicide-hotspot mapping — ताकि लक्षित हस्तक्षेप हो सकें। CMHLP
चुनौतियाँ — लागू करने में बाधाएँ
- वित्त-अवसंरचनात्मक सीमाएँ और प्राथमिक स्वास्थ्य के साथ समन्वय-कमी।
- मानव संसाधन के लिए प्रशिक्षण-गेप और वैधता-प्रमाणपत्रों का बंटवारा।
- डिजिटल-प्राप्ति (connectivity), डेटा-सुरक्षा और स्थानीय भाषा-बाधाएँ।
- सामाजिक कलंक और लैटेंसी — लोग देर से आते हैं, जब बीमारियाँ जटिल हो चुकी होती हैं।
निष्कर्ष — नीति-डायनेमिक्स और नागरिक दायित्व
मानसिक स्वास्थ्य केवल स्वास्थ्य मंत्रालय का मामला नहीं; यह शिक्षा, श्रम, सामाजिक न्याय, ग्रामीण विकास और स्थानीय सरकारों का भी सवाल है। NCRB और अन्य शोध यह स्पष्ट करते हैं कि समस्या बढ़ रही है और त्वरित, बहु-क्षेत्रीय प्रतिक्रिया अनिवार्य है। केन्द्र और राज्य-सरकारों को दोनों स्तरों पर निवेश बढ़ाना होगा — मानव संसाधन, टेली-मेंटल-हब, प्राथमिक स्वास्थ्य में रेडीनेस और सामाजिक सुरक्षा के उपायों के रूप में। साथ ही नागरिक समाज, शैक्षणिक संस्थान और प्राइवेट सेक्टर को साझेदारी द्वारा तेजी से हस्तक्षेप में आना चाहिए।

