📰 भारत–नेपाल आर्थिक संबंधों की घड़ी को आगे बढ़ाते हुए
🪙 भूमिका (Introduction)
भारत और नेपाल के संबंध केवल भौगोलिक निकटता तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक परस्परता पर आधारित हैं।
दोनों देशों के बीच खुले सीमांत, सामाजिक समानता, और साझा हितों ने इन संबंधों को एक विशेष गहराई दी है।
1 अक्टूबर 2025 को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा द्वारा घोषित तीन नई पहलों ने भारत–नेपाल आर्थिक संबंधों को पुनर्परिभाषित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
इन पहलों का उद्देश्य भारतीय रुपये (INR) का अंतर्राष्ट्रीयकरण (Internationalisation) बढ़ाना और दक्षिण एशिया में भारत की आर्थिक नेतृत्व भूमिका को सशक्त करना है।
⚙️ RBI की तीन प्रमुख नीतिगत पहलें
1️⃣ विदेशियों को भारतीय रुपये में ऋण (INR Lending to Non-Residents):
अब अधिकृत डीलर (AD) बैंक नेपाल, भूटान और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों के गैर-निवासियों को सीमा-पार (cross-border) लेनदेन के लिए भारतीय रुपये में ऋण दे सकते हैं।
👉 यह सुविधा विशेष रूप से नेपाल के छोटे एवं मध्यम उद्योगों (SMEs) को लाभ पहुंचा सकती है जिन्हें सस्ती पूंजी की आवश्यकता है।
2️⃣ स्पेशल रुपी वोस्ट्रो अकाउंट (Special Rupee Vostro Accounts):
अब विदेशी बैंक, जिनके भारतीय बैंकों में खाते (Vostro Accounts) हैं, वे भारतीय रुपये में कॉरपोरेट बॉन्ड्स और कमर्शियल पेपर्स में निवेश कर सकेंगे।
👉 इससे भारतीय बाजार में विदेशी निवेश का विस्तार होगा और भारत–नेपाल के बीच पूंजी प्रवाह अधिक गतिशील बनेगा।
3️⃣ पारदर्शी विनिमय दर तंत्र (Transparent Exchange Rate Mechanism):
RBI अब प्रमुख व्यापारिक साझेदार देशों की मुद्राओं के लिए एक पारदर्शी विनिमय दर तय करेगा ताकि रुपये आधारित लेनदेन में स्थिरता बनी रहे।
👉 यह कदम अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में रुपये की विश्वसनीयता और उपयोगिता बढ़ाएगा।
🇳🇵 नेपाल की वर्तमान आर्थिक स्थिति
कोविड-19 के बाद नेपाल की अर्थव्यवस्था में आंशिक सुधार तो हुआ, लेकिन उसका औद्योगिक और उत्पादन क्षेत्र अब भी संघर्षरत है।
- बैंकों की सख्त ऋण नीतियाँ,
- पूंजी की कमी,
- छोटे व्यवसायों के लिए सीमित अवसर,
- और घटती घरेलू मांग ने आर्थिक विकास को बाधित किया है।
नेपाल के अधिकांश बैंक बड़े औद्योगिक घरानों के प्रभाव में हैं, जिससे छोटे उद्योगों को आवश्यक कार्यशील पूंजी (working capital) प्राप्त नहीं हो पाती।
इससे बेरोज़गारी, मंदी, और औद्योगिक असंतुलन जैसी संरचनात्मक समस्याएँ गहराती चली गईं।
💹 भारत–नेपाल के बीच व्यापारिक संबंध
भारत नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और निवेशक देश है।
- भारत से नेपाल को प्रति वर्ष लगभग 8 अरब डॉलर का निर्यात होता है।
- जबकि नेपाल से भारत को 1 अरब डॉलर से अधिक का निर्यात किया जाता है।
- भारत का नेपाल में 33% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) हिस्सा है, जिसकी कुल कीमत लगभग $670 मिलियन है।
- नेपाल के कुल निर्यात का 67% भारत को जाता है, जिसमें खाद्य तेल, कॉफी, चाय, और कृषि उत्पाद प्रमुख हैं।
इन तथ्यों से स्पष्ट है कि भारत और नेपाल की अर्थव्यवस्थाएँ गहराई से एक-दूसरे पर निर्भर हैं, और मुद्रा व वित्तीय सहयोग इस साझेदारी का आधार स्तंभ हैं।
🌐 RBI की पहलों का महत्व और संभावित प्रभाव
🔸 (1) डॉलर पर निर्भरता में कमी:
रुपये आधारित व्यापार से नेपाल को अमेरिकी डॉलर की उतार-चढ़ाव से राहत मिलेगी।
यह दोनों देशों के लिए विनिमय दर स्थिरता और विदेशी मुद्रा भंडार की सुरक्षा के लिहाज से लाभदायक है।
🔸 (2) ऋण और निवेश के अवसरों में वृद्धि:
भारतीय बैंकों से रुपये में ऋण प्राप्त करने की अनुमति मिलने से नेपाल के व्यापारियों को आसान क्रेडिट मिलेगा, जिससे स्थानीय उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा।
🔸 (3) क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा:
यह कदम दक्षिण एशिया में भारत की आर्थिक नेतृत्व भूमिका को मज़बूत करेगा और SAARC देशों के बीच वित्तीय सहयोग का मॉडल प्रस्तुत करेगा।
🔸 (4) नेपाल की मुद्रा (NPR) की स्थिरता:
नेपाल की मुद्रा वर्तमान में INR के साथ 1.6 की स्थिर दर से जुड़ी है।
RBI के नए कदम इस स्थिरता को और मजबूती देंगे, जिससे नेपाल को दीर्घकालिक मौद्रिक लाभ मिलेगा।
🧭 संभावित गुणक प्रभाव (Multiplier Effects)
- नेपाल की अर्थव्यवस्था में स्थायित्व और आत्मविश्वास बढ़ेगा।
- भारत–नेपाल व्यापार में लागत और समय दोनों की बचत होगी।
- भारतीय रुपये की क्षेत्रीय साख (Credibility) बढ़ेगी।
- द्विपक्षीय आर्थिक वार्ता और सहयोग तंत्र (Joint Economic Frameworks) को नया बल मिलेगा।
इसके अलावा, यह नीति नेपाल में सॉवरेन गारंटी, स्टैंडबाय लेटर ऑफ क्रेडिट, और देश जोखिम मूल्यांकन (Country Risk Rating) जैसे वित्तीय सहयोग को भी संस्थागत रूप दे सकती है।
🧩 चुनौतियाँ और सावधानियाँ
- नेपाल राष्ट्र बैंक (NRB) को इस नीति के अनुरूप अपने विनियामक ढांचे को समायोजित करना होगा।
- दोनों देशों को विनिमय दर जोखिम, ब्याज दर नीति, और पूंजी प्रवाह नियंत्रण जैसे पहलुओं पर निरंतर संवाद बनाए रखना होगा।
- भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि रुपये आधारित ऋण प्रणाली सतत, पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बनी रहे।
🔍 निष्कर्ष
RBI की ये पहल केवल एक वित्तीय सुधार नहीं, बल्कि एक रणनीतिक आर्थिक परिवर्तन है।
इससे भारत–नेपाल संबंधों में विश्वास और सहयोग की नई दिशा खुलेगी।
यदि नेपाल राष्ट्र बैंक (NRB) समान नीतिगत दृष्टिकोण अपनाता है, तो यह दोनों देशों को “समान आर्थिक धरातल” (Level Playing Field) पर ला सकता है।
यह केवल मुद्रा सुधार नहीं है — यह दक्षिण एशिया में साझा समृद्धि और आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है।
✍️ लेखक संदर्भ
यह विश्लेषण मंजीव सिंह पुरी (भारत के पूर्व नेपाल राजदूत) और अतुल के. ठाकुर (नीति विशेषज्ञ एवं दक्षिण एशिया मामलों के विश्लेषक) द्वारा व्यक्त विचारों पर आधारित है।
मुख्य परीक्षा प्रश्न
नेपाल की अर्थव्यवस्था की मौजूदा चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए भारतीय रुपये में ऋण (INR Lending) की सुविधा उसके आर्थिक पुनर्निर्माण में किस प्रकार सहायक हो सकती है? (२०० शब्दों में)
प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न
Q१. “Special Rupee Vostro Account” शब्द का उपयोग हाल ही में समाचारों में देखा गया। इसका सही अर्थ क्या है?
(a) यह भारतीय बैंकों में विदेशी बैंकों के खाते होते हैं जिनमें भारतीय रुपये में लेनदेन किया जाता है।
(b) यह भारतीय बैंकों में आम नागरिकों के विदेशी मुद्रा खाते हैं।
(c) यह नेपाल के बैंकों के भारत में खुले बचत खाते हैं।
(d) यह विदेशी मुद्रा विनिमय दर तय करने की RBI की प्रणाली है।
✅ सही उत्तर: (a)