⚡ भारत–ऑस्ट्रेलिया की स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी: हरित भविष्य की ओर एक कदम (India Australia Clean Energy)
आज पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और ऊर्जा संकट जैसी समस्याओं से जूझ रही है।
ऐसे समय में जब हर देश स्वच्छ (Clean) और टिकाऊ (Sustainable) ऊर्जा की दिशा में काम कर रहा है,
भारत और ऑस्ट्रेलिया ने मिलकर एक मजबूत कदम उठाया है —
“भारत–ऑस्ट्रेलिया नवीकरणीय ऊर्जा साझेदारी (India–Australia Renewable Energy Partnership – IAREP)”
इस साझेदारी का उद्देश्य है —
👉 नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) को बढ़ावा देना,
👉 तकनीकी सहयोग को मज़बूत करना,
👉 और एक ऐसे भविष्य की नींव रखना जो स्वच्छ, सुरक्षित और आत्मनिर्भर हो।
🌏 साझेदारी की शुरुआत कब और क्यों हुई?
यह पहल वर्ष 2023 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ द्वारा शुरू की गई थी।
दोनों देशों ने यह समझा कि —
अब केवल ऊर्जा उत्पादन ही नहीं, बल्कि ऊर्जा सुरक्षा (Energy Security) और सप्लाई चेन स्थिरता (Supply Chain Stability) भी उतनी ही ज़रूरी है।
इसलिए, इस साझेदारी के तहत दोनों देश एक साथ मिलकर निम्न क्षेत्रों में काम करेंगे —
- 🌞 सौर ऊर्जा (Solar Power)
- 💧 हरित हाइड्रोजन (Green Hydrogen)
- 🔋 ऊर्जा भंडारण और बैटरी टेक्नोलॉजी (Energy Storage & Battery Technology)
- 🔁 परिपत्र अर्थव्यवस्था (Circular Economy)
- 🧠 अनुसंधान एवं कौशल विकास (Research & Skill Development)
🇮🇳 भारत का स्वच्छ ऊर्जा मिशन
भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए बहुत महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किए हैं।
भारत ने 2030 तक 500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा है।
इसमें से 280 गीगावॉट सौर ऊर्जा से आएगा।
भारत पहले से ही इस लक्ष्य को पाने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।
आज भारत की आधी से अधिक बिजली क्षमता नवीकरणीय स्रोतों से आती है।
यह न सिर्फ पर्यावरण के लिए फायदेमंद है,
बल्कि भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अग्रसर करता है।
⚙️ क्यों ज़रूरी है भारत–ऑस्ट्रेलिया का सहयोग?
वर्तमान में दुनिया के अधिकांश देशों की ऊर्जा सप्लाई चीन पर निर्भर है।
- चीन 90% से अधिक दुर्लभ धातुओं (Rare Earth Metals) को परिष्कृत करता है।
- वह 80% से अधिक सौर पैनल मॉड्यूल बनाता है।
इसका मतलब है कि अगर चीन में कोई समस्या आती है —
तो पूरी दुनिया की ऊर्जा सप्लाई प्रभावित हो सकती है।
भारत के लिए यह खतरा खास है क्योंकि
इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs), पवन ऊर्जा (Wind Energy),
और बैटरी उत्पादन में चीन की भूमिका बहुत बड़ी है।
दूसरी ओर, ऑस्ट्रेलिया के पास प्रचुर मात्रा में लिथियम, कोबाल्ट और अन्य दुर्लभ धातुएँ हैं,
परंतु वहाँ इन धातुओं को तैयार करने या उनसे उत्पाद बनाने की क्षमता सीमित है।
इसलिए, अगर भारत और ऑस्ट्रेलिया साथ आते हैं —
तो भारत को कच्चा माल (Raw Material) मिलेगा,
और ऑस्ट्रेलिया को उत्पादन (Manufacturing) का सहयोग मिलेगा।
यह दोनों देशों के लिए विन–विन स्थिति (Win-Win Partnership) है।
🔗 साझेदारी के लाभ
इस साझेदारी के तहत “ट्रैक 1.5 डायलॉग (Track 1.5 Dialogue)” नाम का एक ढाँचा तैयार किया गया है,
जिसमें सरकार, उद्योग जगत और अनुसंधान संस्थान मिलकर
व्यावहारिक समाधान (Practical Solutions) ढूँढ़ेंगे।
इससे निम्न लाभ होंगे —
✅ स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में तकनीकी सहयोग बढ़ेगा।
✅ नए शोध और आविष्कारों को प्रोत्साहन मिलेगा।
✅ ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain) सुरक्षित और स्थायी बनेगी।
✅ भारत में नए रोजगार और उद्योगों के अवसर बनेंगे।
✅ जलवायु परिवर्तन से निपटने की वैश्विक क्षमता मजबूत होगी।
💡 भारत और ऑस्ट्रेलिया के योगदान
ऑस्ट्रेलिया अपने संसाधनों (लिथियम, कोबाल्ट, रेयर अर्थ) और तकनीकी विशेषज्ञता के ज़रिए
भारत को ऊर्जा कच्चे माल की स्थिर आपूर्ति दे सकता है।
भारत अपने विशाल बाजार, युवा जनसंख्या और औद्योगिक क्षमता के साथ
स्वच्छ ऊर्जा के निर्माण, उपयोग और रखरखाव में अग्रणी भूमिका निभा सकता है।
भारत के स्किल इंडिया और मेक इन इंडिया जैसे कार्यक्रम
इस सहयोग को और गति देंगे।
🌱 भविष्य की दिशा: हरित और आत्मनिर्भर भारत
भारत–ऑस्ट्रेलिया की यह साझेदारी केवल एक आर्थिक समझौता नहीं है,
बल्कि यह एक पर्यावरणीय क्रांति (Green Revolution) की शुरुआत है।
यह दिखाती है कि दो लोकतांत्रिक देश कैसे
साझा लक्ष्य और पारदर्शी सहयोग से
पूरी दुनिया को स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में प्रेरित कर सकते हैं।
🌿 “स्वच्छ ऊर्जा केवल बिजली का स्रोत नहीं,
बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए जीवन की नई रोशनी है।”
📘 UPSC के लिए उपयोगी बिंदु (Exam Focus)
| विषय | विवरण |
|---|---|
| पेपर | GS Paper-II (अंतर्राष्ट्रीय संबंध), GS Paper-III (पर्यावरण एवं ऊर्जा सुरक्षा) |
| मुख्य थीम | भारत–ऑस्ट्रेलिया ऊर्जा साझेदारी और वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला |
| महत्व | ऊर्जा आत्मनिर्भरता, स्वच्छ तकनीक, रोजगार सृजन, पर्यावरण सुरक्षा |
| कीवर्ड्स | Clean Energy, Renewable Partnership, Green Hydrogen, Lithium, Energy Security |
🧠 निष्कर्ष
भारत और ऑस्ट्रेलिया की यह स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी आने वाले समय में
दुनिया के लिए एक मॉडल उदाहरण बन सकती है।
यह न केवल जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करेगी,
बल्कि वैश्विक स्तर पर ऊर्जा आत्मनिर्भरता और तकनीकी संतुलन स्थापित करेगी।

