🐆 स्नो लेपर्ड: दुनिया की सबसे कम आनुवंशिक विविधता वाली बड़ी बिल्ली
✍️ स्रोत: The Hindu (14th Oct. 2025) | मूल अध्ययन: Stanford University द्वारा, Proceedings of the National Academy of Sciences (PNAS), 7 अक्टूबर 2025 |Snow leopard weakest big cat in genetic diversity
❄️ समाचार का सारांश (News Summary)
स्नो लेपर्ड (Snow Leopard), जिसे “Ghost of the Mountains” यानी “पहाड़ों का भूत” कहा जाता है,
एशिया के 12 देशों के ऊँचे, कठिन पर्वतीय क्षेत्रों में पाया जाता है — जिनमें भारत, चीन, मंगोलिया, नेपाल, भूटान और पाकिस्तान शामिल हैं।
लेकिन हाल ही में Stanford University के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है —
स्नो लेपर्ड दुनिया की सभी बड़ी बिल्लियों (Big Cats) में सबसे कम आनुवंशिक विविधता (Genetic Diversity) वाली प्रजाति है —
यहाँ तक कि यह विविधता चीतों से भी कम पाई गई है।
🧬 मुख्य निष्कर्ष (Key Findings)
- कम आनुवंशिक विविधता का कारण:
- यह स्थिति हालिया “inbreeding” (निकट संबंधों में प्रजनन) से नहीं,
बल्कि उनके पूरे विकासीय इतिहास (Evolutionary History) में लगातार छोटी जनसंख्या के कारण हुई है। - इसने “खराब जीन” या “हानिकारक उत्परिवर्तन (Mutations)” को पीढ़ियों में धीरे-धीरे खत्म कर दिया।
- यह स्थिति हालिया “inbreeding” (निकट संबंधों में प्रजनन) से नहीं,
- ‘Purging’ की प्रक्रिया:
- स्नो लेपर्ड में ‘purging of harmful mutations’ हुआ है — यानी जो आनुवंशिक दोष स्वास्थ्य के लिए हानिकारक थे, वे समय के साथ समाप्त हो गए।
- इसका अर्थ यह है कि भले ही उनकी विविधता कम है, परंतु उनका स्वास्थ्य अपेक्षाकृत स्थिर है।
- अन्य बड़ी बिल्लियों से तुलना:
- अध्ययन में 37 स्नो लेपर्ड्स के जीनोम का विश्लेषण किया गया।
- परिणामों से पता चला कि इनकी Heterozygosity (genetic variation) अन्य सभी बड़ी बिल्लियों से कम थी,
यहाँ तक कि Cheetah, जो पहले से ही “कम आनुवंशिक विविधता” का प्रतीक माना जाता था, उससे भी कम।
- अच्छी खबर:
- स्नो लेपर्ड्स में deleterious homozygous load कम है —
यानी माता-पिता से प्राप्त हानिकारक जीन की पुनरावृत्ति (duplication) कम है। - इस वजह से वे अपने छोटे जनसंख्या आकार के बावजूद स्वस्थ और सक्षम बने हुए हैं।
- स्नो लेपर्ड्स में deleterious homozygous load कम है —
🏔️ स्नो लेपर्ड्स के सामने वर्तमान खतरे (Threats)
हालांकि आनुवंशिक रूप से स्नो लेपर्ड्स ने खुद को स्थिर बनाए रखा है,
परंतु अब वे मानवजनित (Anthropogenic) चुनौतियों से जूझ रहे हैं —
- 🌡️ जलवायु परिवर्तन (Climate Change)
— एशिया के ऊँचे पर्वतीय क्षेत्रों का तापमान लगातार बढ़ रहा है। - 🌲 आवासीय हानि (Habitat Loss)
— बड़े पैमाने पर सड़कें, बाँध और सीमा इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण। - 🦌 मुख्य शिकार की कमी (Loss of Prey)
— साइबेरियन आइबेक्स और ब्लू शीप जैसे पहाड़ी जीवों की संख्या घट रही है। - ⚔️ मानव संघर्ष और शिकार (Poaching & Retaliation)
— घरेलू पशुओं के शिकार के बदले स्थानीय लोग कभी-कभी बदला लेकर स्नो लेपर्ड को मार देते हैं।
🇮🇳 भारत में स्थिति (Snow Leopard in India)
भारत में अनुमानतः 718 स्नो लेपर्ड्स पाए जाते हैं —
जो वैश्विक जनसंख्या का लगभग 10–15% है।
राज्यवार वितरण:
- लद्दाख – 477
- उत्तराखंड – 124
- हिमाचल प्रदेश – 51
- अरुणाचल प्रदेश – 36
- सिक्किम – 21
- जम्मू-कश्मीर – 9
भारत चीन और मंगोलिया के बाद तीसरे स्थान पर है जहाँ सबसे अधिक स्नो लेपर्ड पाए जाते हैं।
🌐 संरक्षण प्रयास (Conservation Efforts)
🔸 Project Snow Leopard (भारत सरकार)
2009 में शुरू किया गया यह प्रोजेक्ट हिमालयी राज्यों में इस दुर्लभ प्रजाति के संरक्षण के लिए समर्पित है।
इसमें स्थानीय समुदायों की भागीदारी को प्राथमिकता दी गई है।
🔸 NGO Initiatives
Nature Conservation Foundation (NCF) और Snow Leopard Trust जैसी संस्थाएँ
पिछले 27 वर्षों से इस क्षेत्र में सक्रिय हैं।
स्थानीय ग्रामीणों को प्रशिक्षित कर “सह-अस्तित्व मॉडल” पर काम किया जा रहा है।
🧩 वैज्ञानिकों की राय (Expert View)
डॉ. केटी सोलारी (Stanford University) के अनुसार —
“स्नो लेपर्ड्स में कम आनुवंशिक विविधता होने के बावजूद स्वास्थ्य संबंधी जोखिम कम हैं।
लेकिन यह प्रजाति भविष्य में जलवायु परिवर्तन और मानवजनित दवाब के प्रति अनुकूलन में कमजोर साबित हो सकती है।”
वहीं भारत से डॉ. कुलभूषण सिंह सूर्यवंशी (NCF, Mysore) का कहना है —
“भारत के हिमालयी इलाकों में स्नो लेपर्ड की आनुवंशिक विविधता पर अभी भी बहुत कम अध्ययन हुआ है।
हमें देशभर के पर्वतीय क्षेत्रों से और अधिक सैंपल लेकर अध्ययन करना होगा।”
🚧 मुख्य चुनौती: सीमाई क्षेत्र और जलवायु संकट
भारत का लगभग पूरा स्नो लेपर्ड क्षेत्र
अंतरराष्ट्रीय सीमाओं (50–100 किमी के भीतर) आता है।
यहाँ बड़ी इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएँ, सड़क निर्माण और सैन्य गतिविधियाँ बढ़ रही हैं।
साथ ही, ग्लेशियर पिघलना, अचानक बाढ़ें और तापमान में वृद्धि इन क्षेत्रों की जैव विविधता को गहराई से प्रभावित कर रही हैं।
🌿 पर्यावरणीय महत्व (Ecological Importance)
स्नो लेपर्ड केवल एक प्रजाति नहीं, बल्कि हिमालयी पारिस्थितिकी का संरक्षक है।
ये पर्वतीय पारिस्थितिकी “Carbon Storage” और “Freshwater Source” के रूप में
लगभग दो अरब लोगों के जीवन को प्रभावित करती है।
इसलिए, स्नो लेपर्ड का संरक्षण पूरे एशिया के जलवायु संतुलन और जल संसाधनों के लिए अत्यंत आवश्यक है।
🧠 परीक्षा हेतु प्रमुख तथ्य (Exam Key Points)
| प्रश्न | उत्तर |
|---|---|
| अध्ययन संस्था | Stanford University |
| प्रकाशन | PNAS (Proceedings of the National Academy of Sciences) |
| अध्ययन तिथि | 7 अक्टूबर 2025 |
| प्रजाति | Snow Leopard (Panthera uncia) |
| क्षेत्र | एशिया के 12 देश (भारत सहित) |
| भारत में अनुमानित संख्या | 718 |
| भारत में सर्वाधिक राज्य | लद्दाख |
| आनुवंशिक स्थिति | दुनिया की सबसे कम Genetic Diversity वाली Big Cat |
| प्रमुख खतरे | जलवायु परिवर्तन, शिकार, आवास हानि |
| संरक्षण कार्यक्रम | Project Snow Leopard (भारत) |
| IUCN श्रेणी | Vulnerable (2017 में Endangered से डाउनग्रेड किया गया) |
🌏 निष्कर्ष (Conclusion)
“स्नो लेपर्ड का अस्तित्व केवल हिमालय की सुंदरता का प्रतीक नहीं है,
बल्कि यह एशिया के ऊँचे पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता का संकेतक है।”
कम आनुवंशिक विविधता के बावजूद, यह प्रजाति हजारों वर्षों से अपने पर्यावरण में जीवित है —
लेकिन आज मानव गतिविधियाँ और जलवायु संकट इसके अस्तित्व को चुनौती दे रहे हैं।
इसलिए स्थानीय समुदायों, वैज्ञानिकों और नीतिनिर्माताओं के समन्वय से
हिमालयी पारिस्थितिकी की रक्षा ही स्नो लेपर्ड के भविष्य को सुरक्षित रख सकती है।

