Day 9 : UPPCS Mains 2025 (Answer Writing Challenge)

Day 9 : UPPCS Mains 2025 (Answer Writing Challenge)




8वीं से 10वीं शताब्दी के मध्य उत्तर भारत की राजनीति का सबसे प्रमुख अध्याय पाल, प्रतिहार और राष्ट्रकूटों के मध्य हुआ “त्रिपक्षीय संघर्ष” था। इसका मुख्य केन्द्र कन्नौज था, जो साम्राज्यिक प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता था।


  • कन्नौज का सामरिक एवं प्रतीकात्मक महत्व
  • गंगा-यमुना दोआब की उपजाऊ भूमि और व्यापारिक नियंत्रण
  • तीनों वंशों की साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षा
  • भौगोलिक समीपता और सत्ता संतुलन की होड़

(B) संघर्ष का क्रम:
धर्मपाल (पाल), वत्सराज (प्रतिहार) और ध्रुव (राष्ट्रकूट) के काल में संघर्ष प्रारम्भ हुआ।
गोविन्द III (राष्ट्रकूट) ने उत्तर भारत में विजय प्राप्त की पर स्थायी नियंत्रण नहीं मिला।

(C) परिणाम:

  • कोई भी वंश कन्नौज पर स्थायी अधिकार नहीं कर सका।
  • राजनीतिक विखण्डन और शक्तियों की कमजोरी।
  • तुर्क आक्रमणों के लिए भारत की दुर्बलता बढ़ी।
  • सांस्कृतिक क्षेत्र में कला और शिक्षा का विकास (नालंदा, विक्रमशिला, अजंता आदि)।

त्रिपक्षीय संघर्ष ने भारतीय राजनीति को स्थायी एकता प्रदान नहीं की, किंतु इसने क्षेत्रीय शक्तियों के उभार और सांस्कृतिक विविधता को जन्म दिया।





राजपूत काल (8वीं–13वीं शताब्दी) भारतीय इतिहास में शौर्य, मर्यादा और सम्मान का प्रतीक माना जाता है। स्त्रियों की स्थिति सम्मानजनक होते हुए भी पितृसत्तात्मक व्यवस्था में सीमित थी।


(A) स्त्रियों की स्थिति:

  • सम्मान का प्रतीक: स्त्रियों को कुल की मर्यादा और इज्जत से जोड़ा गया।
  • शिक्षा एवं संस्कृति: कुछ रानियाँ शिक्षित थीं; जैसे मीरा बाई और नायकी देवी।
  • राजनीतिक भूमिका: संकट में राज्य रक्षा में भी सक्रिय भागीदारी।
  • सामाजिक प्रतिबंध: पर्दा, सती, बाल विवाह, विधवा-विवाह का निषेध।

(B) जौहर-प्रथा का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य:

  • युद्ध पराजय की स्थिति में स्त्रियों द्वारा सामूहिक आत्मदाह की परंपरा।
  • विदेशी आक्रमणों के दौर में स्त्रियों की अस्मिता की रक्षा हेतु अपनाई गई प्रथा।
  • प्रमुख उदाहरण: चित्तौड़ के तीन प्रसिद्ध जौहर (1303, 1535, 1568)।

(C) मूल्यांकन:

  • साहस और त्याग का प्रतीक माना गया।
  • परंतु आधुनिक दृष्टि से यह स्त्री स्वतंत्रता के दमन और सामाजिक दबाव का परिणाम था।

राजपूत स्त्रियाँ सम्मान, साहस और त्याग की मूर्ति थीं, परंतु उनका जीवन मर्यादा और परंपरा की सीमाओं में बंधा रहा। जौहर उस युग की सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों का दर्पण था।


🗓️ +150 दिवसीय उत्तर लेखन कार्यक्रम
📆 Batch Starts – 3rd November 2025
🗣️ Available in Hindi & English Medium
📍 प्रतिदिन 5 प्रश्नों का उत्तर लेखन एवं मेंटरशिप गाइडेंस

“हर उत्तर बने परिपूर्ण, हर दिन सफलता की ओर एक कदम — GS WORLD के साथ।”

Get free Mentorship & Guidance ..

Get free Mentorship & Guidance ..

Name
Name
First Name
Last Name