🧭 UPPCS Mains 2025 | Daily Mains Answer Writing (Day 5)
📘 विषय : गुप्तोत्तर काल और भारतीय शिक्षा–संस्कृति का विकास
🧭 Q1. “मौर्योत्तर काल भारत में क्षेत्रीय राज्यों और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का युग था।” उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए।
(8 Marks / 125 Words)
उत्तर की संरचना (Answer Structure):
📝 नोट:
नीचे दिया गया प्रारूप मॉडल उत्तर नहीं है। इसका उद्देश्य केवल यह बताना है कि आपको अपने उत्तर में किन प्रमुख बिंदुओं को शामिल करना चाहिए।
👉 कृपया अपना उत्तर अपने शब्दों में लिखें और नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में उसकी स्पष्ट व साफ फोटो अटैच करें।
✍️ अपने उत्तर की भाषा, प्रस्तुति और अभिव्यक्ति को सरल, सुसंगत और प्रभावशाली बनाएँ ताकि आपका उत्तर परीक्षा की दृष्टि से उत्कृष्ट लगे।
1️⃣ भूमिका (Introduction)
- मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद भारत में अनेक क्षेत्रीय राज्यों का उदय हुआ।
- यह काल राजनीतिक विखंडन के साथ सांस्कृतिक पुनर्जागरण का भी युग था।
2️⃣ मुख्य भाग (Body)
(A) राजनीतिक पहलू:
- सातवाहन, शक, कुषाण, और गुप्तों के पश्चात पाल, राष्ट्रकूट, चोल, और पल्लव जैसे शक्तिशाली क्षेत्रीय साम्राज्यों का उदय।
- स्थानीय शासनों में प्रशासनिक प्रयोग और स्वशासन की परंपरा।
(B) सांस्कृतिक पुनर्जागरण:
- क्षेत्रीय भाषाओं, साहित्य और कला का विकास।
- मंदिर स्थापत्य, मूर्तिकला, चित्रकला और नृत्य का उत्कर्ष।
- बौद्ध, जैन और हिंदू धार्मिक परंपराओं का सहअस्तित्व।
(C) आर्थिक और सामाजिक पहलू:
- कृषि, व्यापार, और समुद्री वाणिज्य का विस्तार।
- शिल्पकार और व्यापारी वर्ग की उन्नति।
3️⃣ निष्कर्ष (Conclusion)
मौर्योत्तर काल ने भारत में राजनीतिक विविधता और सांस्कृतिक समृद्धि की नींव रखी,
जो आगे चलकर भारतीय सभ्यता की स्थानीयता और सार्वभौमिकता दोनों की पहचान बनी।
🧭 Q2.नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालयों की भूमिका का उल्लेख करते हुए गुप्त कालीन शिक्षा प्रणाली का वर्णन कीजिए।
(8 Marks / 125 Words)
उत्तर की संरचना (Answer Structure):
📝 नोट:
नीचे दिया गया प्रारूप मॉडल उत्तर नहीं है। इसका उद्देश्य केवल यह बताना है कि आपको अपने उत्तर में किन प्रमुख बिंदुओं को शामिल करना चाहिए।
👉 कृपया अपना उत्तर अपने शब्दों में लिखें और नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में उसकी स्पष्ट व साफ फोटो अटैच करें।
✍️ उत्तर की भाषा, प्रस्तुति और अभिव्यक्ति को सटीक, सुबोध और प्रभावशाली बनाएँ।
1️⃣ भूमिका (Introduction)
- गुप्त काल को शिक्षा और ज्ञान का स्वर्ण युग कहा जाता है।
- नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालय इस काल की वैश्विक शिक्षा केंद्रों के रूप में प्रसिद्ध थे।
2️⃣ मुख्य भाग (Body)
(A) नालंदा विश्वविद्यालय:
- कुमारगुप्त द्वारा स्थापना।
- बौद्ध दर्शन, चिकित्सा, गणित, व्याकरण, और ज्योतिष की शिक्षा।
- चीन के यात्री ह्वेनसांग और इत्सिंग के अनुसार 10,000 से अधिक छात्र अध्ययनरत।
(B) तक्षशिला विश्वविद्यालय:
- प्रारंभिक काल से शिक्षा का केंद्र — नीति, औषधि, युद्धकला आदि विषयों की शिक्षा।
- भारतीय और विदेशी छात्रों का आगमन।
(C) गुप्त कालीन शिक्षा प्रणाली की विशेषताएँ:
- गुरुकुल परंपरा के साथ विश्वविद्यालयीय शिक्षा का समन्वय।
- नैतिकता, अनुशासन और बहु-विषयी अध्ययन।
- राज्य और समाज दोनों का शैक्षिक संस्थानों को संरक्षण।
3️⃣ निष्कर्ष (Conclusion)
गुप्त काल की शिक्षा प्रणाली ने भारत को ज्ञान, अनुशासन और सांस्कृतिक गौरव की दिशा में अग्रसर किया।
नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालयों ने भारत को विश्वगुरु के रूप में प्रतिष्ठित किया।
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