Day 2 : UPPCS Mains 2025 (Answer Writing Challenge)

Day 2 : UPPCS Mains 2025 (Answer Writing Challenge)




1️⃣ भूमिका (Introduction)

  • उत्तर वैदिक काल: लगभग 1000–600 ई.पू. का काल।
  • वैदिक समाज से शास्त्रीय हिंदू समाज की ओर संक्रमण।
  • समाज, धर्म और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण परिवर्तन।

2️⃣ मुख्य भाग (Body)

(A) सामाजिक परिवर्तन:

  • वर्ण व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण और कर्म के आधार पर भेद।
  • स्त्रियों की स्थिति में गिरावट।
  • गोत्र, विवाह और कुल परंपराओं का विकास।

(B) धार्मिक परिवर्तन:

  • यज्ञ-केन्द्रित धर्म से दार्शनिक चिन्तन की ओर झुकाव।
  • उपनिषदों का उदय – ब्रह्म एवं आत्मा के सिद्धांत।
  • कर्मकांड की बढ़ती जटिलता से असंतोष का भाव।

(C) आर्थिक परिवर्तन:

  • कृषि का प्रसार और लोहे के उपयोग से उत्पादन वृद्धि।
  • संपत्ति और व्यापारिक वर्ग का उभार।
  • वैश्य वर्ग की प्रमुख भूमिका।

3️⃣ निष्कर्ष (Conclusion)

उत्तर वैदिक काल ने भारतीय समाज की धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक संरचना की नींव रखी,
जो आगे चलकर बौद्ध–जैन आंदोलनों और वर्गीय समाज के रूप में विकसित हुई।




1️⃣ भूमिका (Introduction)

  • छठी शताब्दी ई.पू. का काल – सामाजिक व आर्थिक संक्रमण का दौर।
  • बौद्ध धर्म एक सामाजिक–धार्मिक सुधार आंदोलन के रूप में उभरा।

2️⃣ मुख्य भाग (Body)

(A) सामाजिक कारण:

  • वर्ण व्यवस्था की कठोरता और शूद्रों–स्त्रियों का दमन।
  • यज्ञकांडों से असंतोष और सादगी की खोज।
  • समानता, करुणा और मध्यम मार्ग का आकर्षण।

(B) आर्थिक कारण:

  • शहरीकरण और व्यापारी वर्ग का विकास।
  • धनिक वर्ग का यज्ञ–कर्म से असंतोष।
  • अहिंसा और सरल जीवन के सिद्धांतों का आर्थिक समर्थन।

3️⃣ निष्कर्ष (Conclusion)

बौद्ध धर्म का उदय उस समय की सामाजिक विषमता और आर्थिक परिवर्तन का परिणाम था।
इसने भारतीय समाज को समानता, नैतिकता और सहिष्णुता की नई दिशा दी।


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