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वर्ष की पहली तिमाही के दौरान जीडीपी के विकास में तेजी से गिरावट होने के बावजूद सरकार इस तथ्य से मँह फेर रही है। केंद्रीय वित्त मंत्री ने मजबूत मैक्रो मूल सिद्धांतों के बारे में बात करना जारी रखा और वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी के विकास में 5-7% तक के मंदी को केवल ‘लिटिल डीप’ के रूप में वर्णित किया। वास्तव में, सरकार यह स्वीकार करने के लिए तैयार ही नहीं है कि विमुद्रीकरण ने अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहँचाया है। अभी फिलहाल यह उम्मीद की जा सकती है कि यशवंत सिन्हा, पूर्व वित्त मंत्री की कड़ी आलोचना के बाद सरकार को आधारहीन बहसों में शामिल होने की बजाय कुछ सकारात्मक कार्रवाई करने की प्रेरणा मिलेगी। अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के उपायों के बारे में कई रिपोर्टें मौजूद हैं और उम्मीद की जा रही है कि यह समस्या ‘प्रोत्साहन’ के दूसरे दौर में शामिल नहीं होगा, जो निवेश के माहौल के पुनरुत्थान में देरी कर सकता है।.............. Download pdf to Read More