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यह कहावत कि न कोई स्थायी दुश्मन और न कोई स्थायी दोस्त, राजनीति में सिर्फ स्थायी हित ही दुनिया भर के लोकतंत्र में राजनीतिक गठबंधनों के बदलने की प्रक्रिया में कई मोड़ ला सकते हैं। लेकिन नेपाल की राजनीति के लिए यह कहावत कम ही पड़ेगी, जहां गठबंधन बनाने की कला लंबे अरसे से एक प्रहसन रही है। बीते शनिवार को, नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी सेंटर) के निवर्तमान प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल अनुमान के मुताबिक विश्वास मत हार गए। कुल 275-सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में सिर्फ 63 सदस्यों ने उनका समर्थन किया, जबकि 194 सांसदों ने विश्वास प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया।
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