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संपादकीय

तीसरा मोर्चाः पश्चिम एशिया में संघर्ष की बढ़ती प्रकृति

18.09.24 94 Source: The Hindu (18 September, 2024)
तीसरा मोर्चाः पश्चिम एशिया में संघर्ष की बढ़ती प्रकृति

यमन के हौथी विद्रोहियों द्वारा इजराइल पर रविवार को किया गया मिसाइल हमला दो महीने में हौथी के हथियारों द्वारा इजराइल के आसमान की बेहद मजबूत किलेबंदी को दूसरी बार भेदने का परिचायक है, जो पश्चिम एशिया में संघर्ष की बढ़ती प्रकृति की ओर इशारा करता है। जुलाई में, हौथी विद्रोहियों द्वारा इजराइल से लगभग 2,000 किलोमीटर दक्षिण में यमन से दागे गए एक ईरान द्वारा निर्मित ड्रोन से तेल अवीव में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और 10 अन्य लोग घायल हो गए थे। जवाबी कार्रवाई में, इजराइल ने यमन में हौथी विद्रोहियों के नियंत्रण वाले लाल सागर में स्थित बंदरगाह होदेइदा पर हवाई हमला किया। लेकिन इससे हौथी विद्रोहियों के रवैये में शायद ही कोई फर्क पड़ा है। इजराइली अधिकारियों ने रविवार के हमले के बारे में परस्पर विरोधी विवरण उपलब्ध कराए हैं। उन्होंने पहले कहा कि मिसाइल मध्य इजराइल में गिरी और आग लग गई, लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि वह 'हवा में ही खंडित" हो गई थी। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि उसे रोक लिया गया और टुकड़ों में तोड़ दिया गया, लेकिन नष्ट नहीं किया गया। तथ्य चाहे जो भी हों, 11 महीने से ज्यादा वक्त से गाजा में विनाशकारी युद्ध और उत्तर में लेबनान के हिजबुल्लाह के साथ धीमी गति की युद्ध लड़ने वाले इजराइल के लिए यह सुरक्षा संबंधी चिंता का एक सबब होना चाहिए कि हौथी विद्रोही उसके हवाई क्षेत्र को भेदने में कामयाब हो रहे हैं। इजराइल भले ही यमन पर फिर से जवाबी हमला करे, लेकिन सवाल यह है कि क्या इससे होथी विद्रोही रुकेंगे।

हौथी विद्रोही, जो यमन के कुछ हिस्सों को नियंत्रित करते हैं, 2014 में यमन की राजधानी सना पर कब्ज़ा करने के बाद से विदेशी ताकतों द्वारा किए गए कई हवाई हमलों को झेलने में कामयाब रहे हैं। सलमान के सिंहासन पर बैठने और मोहम्मद बिन सलमान के रक्षा मंत्री बनने के चंद महीनों बाद, यमन में प्रतिद्वंदी सरकार का समर्थन करने वाले सऊदी नेतृत्व वाले गठबंधन ने 2015 में हौथी विद्रोहियों के खिलाफ जंग का ऐलान किया था। लेकिन सऊदी बमबारी हौथी विद्रोहियों को हटाने में नाकामयाब रही, जिसके चलते अंत में हौथी विद्रोहियों और यमन में सऊदी समर्थित सरकार के बीच एक नाजुक युद्धविराम हुआ। जब हमास ने 7 अक्टूबर, 2023 को इजराइल पर हमला किया और इजराइल ने अपनी जवाबी चढ़ाई शुरू की, तो होथी विद्रोहियों ने इजराइल के खिलाफ 'युद्ध का ऐलान किया और मुख्य रूप से लाल सागर में टैंकरों को निशाना बनाया। जवाब में, अमेरिकी नेतृत्व वाले गठबंधन ने हौथी विद्रोहियों के खिलाफ हवाई हमले का अभियान चलाने की घोषणा की। लेकिन अमेरिका और ब्रिटेन की अगुवाई में महीनों के हवाई हमलों से हौथी विद्रोहियों की मारक क्षमता में शायद ही कोई कमी आई है। जब हौथी समस्या से निपटने की बात आती है तो इज़राइल को भी इसी दुविधा का सामना करना पड़ता है। हौथी विद्रोही, जिन्हें ईरान का प्रत्यक्ष समर्थन हासिल है, यमन में जमे हुए हैं। फिलिस्तीन का मुद्दा उठाकर, वे ईरान के रणनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति कर रहे हैं और घरेलू मोर्चे पर अपनी ताकत में इजाफा कर रहे हैं। और इजराइल पर ड्रोन एवं मिसाइल हमले इस बात का संकेत हैं कि इजराइल के अंतहीन युद्धों में क्या कुछ होने वाला है। अगर 11 महीने पहले इजराइल हमास को कुचलने के लिए गाजा में घुसा था, तो यह यहूदी देश अब एक ही समय में तीन दुश्मन मिलिशिया हमास, हिजबुल्लाह और हौथी विद्रोही से लड़ रहा है, जिसका कोई सैन्य समाधान नहीं है। इसका मतलब यह है कि जब तक गाजा में तत्काल युद्धविराम नहीं होता, पश्चिम एशिया में कई मोचों पर सुरक्षा के हालात बिगड़ते जायेंगे।

 

हौथी के बारे में

  • हौथी, जिसे आधिकारिक तौर पर अंसार अल्लाह (ईश्वर के पक्षपाती) के नाम से जाना जाता है, यमन में एक सशस्त्र धार्मिक और राजनीतिक आंदोलन है।
  • हूथी ज़ायदी शिया या ज़ायदियाह हैं। शिया मुसलमान इस्लामी दुनिया में अल्पसंख्यक समुदाय हैं, और ज़ायदी शियाओं का एक अल्पसंख्यक समुदाय है, जो ईरान, इराक और अन्य जगहों पर हावी शियाओं से सिद्धांत और विश्वास में काफी भिन्न हैं।
  • वे यमन में अल्पसंख्यक हैं, जो मुख्यतः सुन्नी मुस्लिम है, लेकिन वे महत्वपूर्ण हैं, जिनकी संख्या लाखों में है तथा जो कुल जनसंख्या का एक तिहाई हिस्सा बनाते हैं।
  • इसके सदस्य उत्तरी यमन में जैदी लोगों के लिए क्षेत्रीय स्वायत्तता की वकालत करते हैं।
  • वे 2004 से यमन की सुन्नी बहुल सरकार से लड़ रहे हैं। 
  • हौथियों ने सितम्बर 2014 में यमन की राजधानी सना पर कब्जा कर लिया तथा 2016 तक उत्तरी यमन के अधिकांश भाग पर नियंत्रण कर लिया।
  • हौथी आंदोलन की शुरुआत उत्तरी यमन में जनजातीय स्वायत्तता बनाए रखने और मध्य पूर्व में पश्चिमी प्रभाव का विरोध करने के प्रयास के रूप में हुई।
  • आज, हूथी यमनी सरकार में अधिक भूमिका चाहते हैं तथा जैदी अल्पसंख्यक हितों की वकालत करते रहते हैं।
  • यह आंदोलन अपनी उग्र अमेरिकी-विरोधी और यहूदी-विरोधी बयानबाजी के लिए जाना जाता है।
  • इस समूह के कई नेताओं को संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा आतंकवादी घोषित किया गया है।
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