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संपादकीय

आतंकवादी-नशीली दवाओं का गठजोड़: नशीले पदार्थों की तस्करी एक गंभीर सुरक्षा मुद्दा क्यों है

21.04.23 417 Source: Indian Express, April 19, 2023
आतंकवादी-नशीली दवाओं का गठजोड़: नशीले पदार्थों की तस्करी एक गंभीर सुरक्षा मुद्दा क्यों है

दुनिया भर में नशीले पदार्थों का व्यापार खतरनाक रूप लेता जा रहा है। यह एक सामाजिक समस्या है जो युवाओं और परिवारों को नुकसान पहुँचाती है और इससे उत्पन्न धन को विघटनकारी गतिविधियों के लिए उपयोग किया जाता है जिसका राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर पड़ता है। इस मुद्दे ने सुरक्षा एजेंसियों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को अधर में लटका रखा है। भारत इस समस्या का कोई अपवाद नहीं है।

ड्रग्स के प्रमुख वैश्विक क्षेत्र और भारत :

परंपरागत रूप से भारत को डेथ (गोल्डन) क्रीसेंट और डेथ (गोल्डन) ट्रायंगल के बीच सैंडविच के रूप में देखा जाता है। अप्रत्यक्ष रूप से खुफिया तंत्र द्वारा समर्थित ड्रग लॉर्ड्स द्वारा इन दो क्षेत्रों से देश में ड्रग्स, विशेष रूप से हेरोइन और मेथामफेटामाइन की बाढ़ जैसी लाई जा रही है। दुनिया में इन ड्रग्स की करीब 90 फीसदी मांग इन्हीं दोनों क्षेत्रों से पूरी की जा रही है। भारत अन्य देशों के लिए एक बड़ा बाजार और एक पारगमन मार्ग दोनों है।

इस अवैध व्यापार में उत्पन्न धन असाधारण है। ऐसे संकेत हैं कि अफगानिस्तान से सटे पाकिस्तान के कुछ हिस्सों का इस्तेमाल पाकिस्तानी ड्रग तस्करों द्वारा अफगान अफीम को हेरोइन में बदलने के लिए किया जाता है। चीन की सीमा से सटे म्यांमार के शान और काचिन प्रांत में भी यह चुनौती सामन आती है। म्यांमार- चीन सीमा पर इन हेरोइन और मेथामफेटामाइन-उत्पादक क्षेत्रों में पारगम्य सीमाएँ हैं और कथित तौर पर विद्रोही समूहों के नियंत्रण में हैं, जो अप्रत्यक्ष रूप से चीनियों द्वारा समर्थित हैं। यहां अवैध हथियारों का निर्माण किया जाता है और भारत में सक्रिय भूमिगत समूहों को इसकी आपूर्ति की जाती है।

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