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संपादकीय

कार्यकारिणी अदालतों का भय

14.12.18 729 Source: The Hindu
कार्यकारिणी अदालतों का भय

सोमवार को, मेघालय उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एस.आर.सेन ने अपने एक फैसले में कहा कि "यदि कोई भारतीय कानून और संविधान का विरोध कर रहा है तो उसे देश के नागरिक के रूप में नहीं माना जा सकता।" न्यायमूर्ति सेन ने सेना भर्ती में निवास प्रमाण पत्र के अस्वीकार किए जाने से जुड़ी एक याचिका के निपटारे के दौरान यह फैसला दिया। न्यायाधीश ने कहा है कि भारत को हिंदू राष्ट्र होना चाहिए और किसी को भी भारत को एक और इस्लामी देश बनाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।

न्यायाधीश ने फैसले में कहा कि उनका विश्वास माननीय प्रधानमंत्री मोदी में है कि वह भारत को दूसरा इस्लामिक देश बनने से बचाएंगे। उन्होंने मोदी से यह भी आग्रह किया कि पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान में रह रहे गैर मुस्लिमों को भारत आने की अनुमति व यहां की नागरिकता पाने के लिए कानून बनाएं। उन्होंने यह भी कहा कि "हमारे राजनेता 1947 में आजादी पाने के लिए बहुत जल्दबाजी में थे, इसलिए आज ये सभी समस्याएं हमारे समक्ष है।" न्यायमूर्ति सेन ने सहायक सॉलिसिटर जनरल को अपने फैसले की एक प्रति "11-12-2018 तक माननीय प्रधानमंत्री, माननीय गृह मंत्री और माननीय कानून मंत्री को सौंपने का निर्देश दिया .................

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