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संपादकीय

अदृश्य नौकरियां

27.09.24 11 Source: Indian Express, (27 Sept. 2024)
अदृश्य नौकरियां

भारतीय रिजर्व बैंक ने इस वर्ष भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.2% रहने का अनुमान लगाया है।मध्यम अवधि के पूर्वानुमान, जैसे कि आईएमएफ द्वारा, आने वाले वर्षों में यह गति जारी रहने की उम्मीद है।लेकिन गुणवत्तापूर्ण नौकरियों की कमी की चिंता बनी हुई है।

हाल ही में जारी आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के अनुसार भारत में श्रम बाजार की स्थिति:

  • समग्र स्तर पर, श्रम बल भागीदारी दर (15 वर्ष और उससे अधिक) 2017-18 में 49.8% से बढ़कर 2023-24 में 60.1% हो गई है।
  • इसका मुख्य कारण महिलाओं की भागीदारी में तीव्र वृद्धि है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां इस अवधि में यह 24.6% से बढ़कर 47.6% हो गई है।
  • महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि शायद संकट का संकेत है, अर्थात महिलाएं अपनी घरेलू आय बढ़ाने के लिए घर से बाहर निकल रही हैं।
  • वेतनभोगी रोजगार में लगी महिलाओं की हिस्सेदारी में गिरावट आई है। अब ज़्यादातर महिलाएं स्वरोजगार में लगी हैं। देश भर में स्वरोजगार करने वाली महिलाओं की हिस्सेदारी 2017-18 में 51.9% से बढ़कर 2023-24 में 67.4% हो गई है।
  • श्रम शक्ति का एक बडा हिस्सा अभी भी अनौपचारिक फर्मों में कार्यरत है।
  • अनौपचारिक उद्यमों (स्वामित्व और भागीदारी) में लगे श्रमिकों का प्रतिशत 2023-24 में 73.2 प्रतिशत था। हालांकि यह 2022-23 में 74.3% से मामूली रूप से कम हुआ है, लेकिन यह 2017-18 में 68.2% के अनुमान से अधिक है।
  • कृषि में लगे श्रम बल का हिस्सा लगातार बढ़ रहा है, जबकि विनिर्माण में लगे श्रम बल का हिस्सा लगभग स्थिर बना हुआ है।
  • 2017-18 में कृषि क्षेत्र में 44.1% कर्मचारी कार्यरत थे। 2023-24 तक यह बढ़कर 46.1% हो जाएगा, जो पिछले दशकों में कृषि क्षेत्र में गिरावट की प्रवृत्ति को उलटने को दर्शाता है।
  • विनिर्माण में लगे श्रम बल का हिस्सा लगभग समान ही रहेगा, 2021-22 में 11.6% और 2023- 24 में 11.4%। • बेरोजगारी दर (15 वर्ष और उससे अधिक) 2017-18 में 6% से घटकर 2023-24 में 3.2% हो गई है।
  • यद्यपि युवा बेरोजगारी दर 2017-18 में 17.8% से घटकर 2023-24 में 10.2% हो गई है, फिर भी यह उच्च बनी हुई है।
  • अधिक शिक्षित लोगों में बेरोजगारी की दर अधिक है। माध्यमिक और उससे ऊपर की शिक्षा प्राप्त लोगों की बेरोजगारी दर अन्य लोगों की तुलना में बहुत अधिक है।

चुनौती:

  • श्रम बाजार के आंकड़े भारत के सामने मौजूद प्रमुख विकास चुनौती को पुष्ट करते हैं, अर्थात अधिक लाभकारी और उत्पादक रोजगार अवसरों का अपर्याप्त सृजन।
  • उत्पादन प्रक्रिया अधिक पूंजी गहन और श्रम बचत वाली होती जा रही है। इससे रोजगार सृजन की चुनौती से निपटना मुश्किल हो रहा है।

आगे की राहः 

  • अधिक लाभकारी और उत्पादक रोजगार अवसरों के सृजन की चुनौती पर काबू पाना नीतिगत एजेंडे में सबसे ऊपर होना चाहिए।
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