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ऐसे कई मामलें है जिन्हें बाहरी पैनल की नियुक्ति के साथ कमजोर कर दिया गया है, बदले में नागरिक
स्वतंत्रता से समझौता किया गया है।
27 अक्टूबर को, भारत के सर्वोच्चय न्यायालय ने उन आरोपों की जांच करने के लिए एक स्वतंत्र समिति नियुत्तफ़ की है जिनमे
दावा किया गया कि केंद्र सरकार ने भारत के नागरिकों द्वारा उपयोग किए जाने वाले मोबाइल उपकरणों में अपनी पहुंच बनाने और
जासूसी करने के लिए मोबाइल फोन स्पाइवेयर पेगासस का उपयोग किया था। कोर्ट के इस निर्देश की प्रशंसा की गई है। देखा जाए तो अदालत की घोषणाओं में बहुत कुछ है, लेकिन उसका आदेश अभी भी न्याय की परिभाषा पर पूरी तरह से खरा नहीं उतरता है।
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