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करों से बचने की मांग करने वाले से वैध कर लाभ लेने वाली संस्था को स्पष्ट रूप से अलग करना होगा।
वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) के पहले 100 दिन पूरा होने के बाद, करदाताओं के लिए एक और ‘जी’ अर्थात सामान्य कर परिवर्जन रोधी नियम (ळ।।त्) पर अपना ध्यान केंद्रित करने का समय आ गया है, जिसे भारतीय कर कानून में 1 अप्रैल, 2017 को प्रभावी बना दिया गया है और साथ ही यह भारत की कर नीति और कानून के उत्थान में एक जल विभाजक घटना है। कंपनियों को कर से बच निकलने के लिए आड़े तिरछे तरीके निकालने के प्रति निरत्साहित करने के उद्येश्य से प्रस्तावित सामान्य कर परिवर्जन रोधी नियम (ळ।।त्) एक अप्रैल, 2017 से लागू किया गया है। ‘न्यायिक’ गार भारत में अतीत में लागू किया गया है, लेकिन ‘विधायी’ गार की शुरूआत कर चर्चा के इस दिलचस्प विषय में एक नया मोड़ देता है और करदाताओं और कर पेशेवर दोनों को कर की योजना के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव करने की आवश्यकता को दर्शाता है। देऽा जाये तो ‘बेनामी लेनदेन (निषेध) संशोधन अधिनियम 2016 का पारित किया जाना, प्रत्यक्ष कर विवाद निपटारा योजना 2016 और आकलन वर्ष 2017-19 से गार को लागू करना चालू वित्त वर्ष 2016-17 में सीबीडीटी की अब तक की बड़ी उपलब्धियों में शामिल है।’ Download pdf to Read More