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जैसी कि उम्मीद थी, भारत और कनाडा के बीच राजनयिक विवाद ने उन लोगों को प्रभावित करना शुरू कर दिया है जिनके दोनों देशों के साथ रिश्ते हैं। कनाडा ने जिस असामान्य तरीके से अपनी इस समझ को सार्वजनिक किया कि खालिस्तानी एक्टिविस्ट हरदीप सिंह निज्जर की 2023 में हुई हत्या में कहीं-न-कहीं भारतीय अधिकारियों की संलिप्तता है, उसने द्विपक्षीय संबंधों को बेपटरी कर दिया। गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ साजिश के सिलसिले में वाशिंगटन के आरोपों ने मामला और जटिल बना दिया। अभी 3 नवंबर को ब्रेम्पटन में हिंदू सभा मंदिर परिसर में भारतीय मिशन ने वाणिज्य-दूत (कॉसल) संबंधी सेवाएं मुहैया कराने के लिए एक कैंप आयोजित किया था, जिसे खालिस्तानी कार्यकर्ताओं ने हिंसक ढंग से बाधित किया। बाद में, हिंदू समूह द्वारा किये गये विरोध प्रदर्शन के चलते भी हिंसा हुई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंदिर में हिंसा को "सोची-समझी" और भारतीय राजनयिकों को डराने की कोशिशों को "कायराना" बताया। कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन टूडो ने इस घटना को "अस्वीकार्य' करार दिया। कनाडा में पुलिस ने निज्जर से जुड़े कम-से-कम दो लोगों को गिरफ्तार किया है। उनमें से एक भारत में वांछित है। अनुमानतः 19 लाख लोग (कनाडा की आबादी का लगभग 4 फीसदी) भारतीय मूल के हैं। उनमें से बहुतेरों का भारत के साथ करीबी रिश्ता कायम है और उन्हें वाणिज्य दूत संबंधी विभिन्न सेवाओं की जरूरत होती है।
एक छोटा हिंसक समूह भी राजनयिक कामकाज को बाधित कर सकता है, यह एक स्थिर लोकतंत्र (जहां कानून का शासन सर्वोपरि है) के रूप में कनाडा की प्रतिष्ठा पर अफसोसनाक टिप्पणी है। कनाडाई सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भारतीय राजनयिक सुरक्षित हों। भारत और कनाडा को ऐसी किसी लामबंदी को प्रोत्साहित या बर्दाश्त नहीं करना चाहिए जो दोनों में से किसी भी देश में सांप्रदायिक फूट पैदा करे। प्रवासियों (डायस्पोरा) के साथ भारत का जुड़ाव हर हाल में राष्ट्र के बहु-धार्मिक चरित्र को प्रदर्शित करने वाला होना चाहिए। वस्तुओं और सेवाओं के क्षेत्र में भारत-कनाडा द्विपक्षीय व्यापार लगभग 19 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है। उम्मीद थी कि एक द्विपक्षीय व्यापार संधि के जरिए इसे और बढ़ावा मिलेगा, लेकिन इस पर बातचीत अब अटक गयी है। अभी तक दोनों देश अपने आर्थिक संबंधों को अप्रभावित रखने को लेकर सावधान रहे हैं, लेकिन दोनों तरफ वीजा जारी होने में व्यवधान से इस पर असर पड़ सकता है। जलवायु परिवर्तन जैसे कई मुद्दों पर भारत और कनाडा के बीच महत्वपूर्ण एकरूपता है। इस तथ्य के बावजूद कि मौजूदा उथल-पुथल भी कलहपूर्ण प्रवासी (डायस्पोरा) राजनीति से पैदा हुई है, दोनों देशों के लोगों के बीच टिकाऊ आपसी संपर्क फायदेमंद रहे हैं। भारत के साथ रिश्तों से इतर, कनाडा अपनी सीमा नीति सख्त बनाने का प्रयास कर रहा है क्योंकि उसकी लगभग दो-तिहाई आबादी को कथित तौर पर यह लगता है कि देश में बहुत ज्यादा आप्रवासी आ रहे हैं। छात्र वीजा पर नयी पाबंदियां भारतीय आकांक्षियों को भी प्रभावित करेंगी। हालांकि संबंधों का पूरी तरह सामान्य होना झटपट संभव नहीं है, लेकिन दोनों देश वाणिज्य दूत संबंधी सेवाओं में व्यवधान से बच सकते हैं और उन्हें बचना चाहिए।
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