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गुरुवार को यानि कल, भारतीय नागरिकों के मूल अधिकारों को राज्य की मनमानी कार्रवाई के िऽलाफ सशत्तफ़ होने की शत्तिफ़ मिल गयी। सुप्रीम कोर्ट के फैसला की ‘‘गोपनीयता का अधिकार, जीवन के अधिकार का एक अभिन्न अंग है और इसका जिक्र संविधान के अनुच्छेद 21 में व्यत्तिफ़गत स्वतंत्रता के रूप में किया भी गया है’’ जिसे तत्काल संदर्भ अर्थात आधार मामले में भी देखा जायेगा। लेकिन नौ न्यायाधीशों की बेंच का सर्वसम्मत फैसला उससे कहीं अधिक दूर है।.................. Download pdf to Read More