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संपादकीय

हमास को दंड: इजराइल और आईसीजे का फैसला

10.06.24 57 Source: The Hindu (27 May 2024)
हमास को दंड: इजराइल और आईसीजे का फैसला

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) ने फैसला सुनाया है कि इजराइल को गाजा के सबसे दक्षिणी शहर राफा में अपने सैन्य हमले को तुरंत रोकना चाहिए। आईसीजे का यह फैसला एक ऐसे युद्ध में इस यहूदी राष्ट्र के लिए ताजा झटका है, जो भारी संख्या में नागरिकों के हताहत होने के साथ जारी है और जिसका कोई अंत नहीं नजर रहा है। बीते जनवरी में दक्षिण अफ्रीका द्वारा दायर इजराइल के खिलाफ नरसंहार मामले की सुनवाई करते हुए, संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत ने तेल अवीव से गाजा में नरसंहार के कृत्यों को रोकने के लिए उपाय करने को कहा था। अदालत ने तब युद्धविराम का आदेश देने से इनकार कर दिया था, लेकिन अब वह इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि राफा पर इजराइल के हमले से उक्त शहर में फिलिस्तीनी आबादी का पूर्ण या आंशिक विनाश हो सकता है। अदालत ने सभी बंधकों की तत्काल रिहाई की मांग के अलावा, इजराइल से मिस्र के साथ लगे राफा क्रॉसिंग को सहायता वितरण के लिए खुला रखने और संयुक्त राष्ट्र जांचकर्ताओं को कथित युद्ध अपराधों के बारे में सबूत इकट्ठा करने की इजाजत देने के लिए भी कहा है। आईसीजे का यह फैसला अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के मुख्य अभियोजक करीम खान के उस याचिका के कुछ दिनों बाद आया है, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि इजरायल और हमास के नेताओं ने गाजा में युद्ध अपराध एवं मानवता के खिलाफ अपराध किए हैं तथा इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, उसके रक्षा मंत्री योव गैलेंट और हमास नेता याह्या सिनवार, मोहम्मद डेफ एवं इस्माइल हनियेह के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट की मांग की थी। ऐसा मालूम होता है कि इजराइल इन घटनाक्रमों से अविचलित है। आईसीजे द्वारा अपना फैसला सुनाए के तुरंत बाद, इजरायल के लड़ाकू विमानों ने राफा पर हमला किया। आईसीजे के फैसले बाध्यकारी हैं, लेकिन इस अदालत के पास उन्हें लागू करने के लिए तंत्र का अभाव है।

इस युद्ध के शुरू होने के सात महीने से ज्यादा का वक्त बीत जाने के बाद, तेल अवीव अंधेरे में लड़ाई लड़ रहा है। यह युद्ध हमास के 7 अक्टूबर को इजराइल पर सीमा पार हमले से शुरू हुआ था, जिसमें कम से कम 1,200 लोग मारे गए थे। जब इजराइल ने युद्ध शुरू किया, तो नेतन्याहू ने कहा कि वह हमास को कुचल देंगे और बंधकों को रिहा करा लेंगे। लेकिन आज भी, इजराइल उत्तरी और मध्य गाजा में हमास से लड़ रहा है जहां उसने पहले जीत का एलान किया था। कम से कम 120 बंधक, जिनमें से अधिकांश के मारे जाने की आशंका है, अभी भी हमास की कैद में हैं। यह युद्ध सिर्फ इजरायल के रक्षा बलों की नाकामी से ही चिन्हित नहीं है। गाजा पर उसके बेजा बल प्रयोग ने इस पट्टी को कब्रिस्तान में बदल दिया है। इस कदम ने अंतरराष्ट्रीय जनमत को इजरायल के खिलाफ कर दिया है। पिछले सप्ताह नॉर्वे, आयरलैंड और स्पेन द्वारा फ़िलिस्तीन राज्य को मान्यता देने का फैसला यह दर्शाता है कि पश्चिम में भी सोच की दिशा कैसे बदल रही है। नेतन्याहू आज अतार्किक तरीके से अड़े हुए जान पड़ते हैं। उनका एकमात्र ध्यान उस युद्ध पर है जिसने इजराइल की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं किया है। इजराइल अपने सैन्य मकसदों को हासिल नहीं कर पाया है। इसकी प्रतिरोधक क्षमता दो बार टूट चुकी है, अरबों के साथ शांति भंग हो गई है, वह दुनिया में अलग-थलग पड़ गया है, इसके नेताओं के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट हो सकता है और इस युद्ध को चलाने के उसके तौर-तरीकों के खिलाफ आईसीजे का एक फैसला आया है। हमास ने जो किया उसके लिए गाजा में पूरी फिलिस्तीनी आबादी को दंडित करने की मांग करके, नेतन्याहू इजरायल की स्थिति को कमजोर कर रहे हैं और फिलिस्तीन के हितों के पक्ष में अंतरराष्ट्रीय समर्थन को मजबूत कर रहे हैं।

 

आईसीसी का क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र:

  • रूस की तरह इजराइल भी आईसीसी का सदस्य नहीं है।
  • इस प्रकार, कुछ लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या आईसीसी इजरायली नेताओं के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी कर सकता है।
  • इस मामले में आईसीसी के अधिकार क्षेत्र का आधार यह है कि फिलिस्तीन न्यायालय में एक राज्य पक्ष है।
  • इस प्रकार, आईसीसी प्रादेशिक अधिकारिता का प्रयोग कर सकता है।
  • इसका अर्थ यह है कि यदि कोई अपराध ICC के किसी सदस्य राज्य के भू-भाग पर किया जाता है, तो न्यायालय उस अपराध पर क्षेत्राधिकार का प्रयोग कर सकता है, भले ही वह अपराध किसी ऐसे राज्य के लोगों द्वारा किया गया हो जो ICC का सदस्य नहीं है।
  • इसलिए, गाजा में इज़रायली सैनिकों द्वारा किए गए अपराध न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।
  • इसी प्रकार, इजरायल में हमास का आचरण भी न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में आता है, भले ही इजरायल आईसीसी का सदस्य नहीं है।


उच्च स्तरीय सरकारी अधिकारियों के विरुद्ध आईसीसी का रिकॉर्ड:

  • आईसीसी का रिकार्ड बहुत उत्साहजनक नहीं है, विशेषकर राष्ट्राध्यक्षों के संबंध में।
  • सूडान के पूर्व राष्ट्रपति उमर अल-बशीर का उदाहरण लीजिए,आईसीसी ने 2009 में उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।उस समय वह सूडान के राष्ट्रपति थे।2019 में उन्हें सैन्य तख्तापलट में पद से हटा दिया गया था। हालाँकि, उन्होंने अभी भी अदालत के सामने आत्मसमर्पण नहीं किया है।
  • दूसरी ओर केन्या के वर्तमान राष्ट्रपति विलियम रुटो और उनके पूर्ववर्ती उहुरू केन्याटा का मामला है।
  • दोनों पर मानवता के विरुद्ध अपराध करने का आरोप लगाया गया था, लेकिन अदालत ने अंततः आरोप हटा दिए और अभियोजन को छोड़ दिया।
  • इसी प्रकार, आइवरी कोस्ट की पूर्व प्रथम महिला सिमोन ग्बाग्बो के खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था, लेकिन बाद में आईसीसी ने आरोप हटा दिए।
  • इसी तरह, पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट ने निस्संदेह उनकी अंतरराष्ट्रीय यात्राओं को सीमित कर दिया है, लेकिन आईसीसी के समक्ष उनका आत्मसमर्पण असंभव प्रतीत होता है।
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