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प्रश्न पत्र - 2 (सामाजिक मुद्दे)
सीवेज की सफाई के दौरान होने वाली इन्सानी मौतें अस्वीकार्य हैं।
सभी इन्सानी जिन्दगियां कीमती होती हैं। लेकिन हकीकत में, कुछ को दूसरों की तुलना में कम कीमती माना जाता है। अदालतों और सरकारों के प्रयासों के बावजूद, विभिन्न कानून और उन कानूनों पर अमल एक खास श्रेणी के कामगारों - वे जो सीवेज की सफाई में लगे हुए हैं – को नुकसान से महफूज रखने में नाकाम रहे हैं। कई अन्य मानवीय कार्यों की तरह यह काम भी खतरनाक है, लेकिन सीवेज की सफाई में मानव मल की सफाई भी शामिल होती है और इसे श्रम की गरिमा की अवधारणा से परे रखकर नहीं देखा जा सकता। मशीनों के जरिए इस काम को अंजाम दिए जा सकने की सुविधा मौजूद होने के बावजूद इन्सानों को मल हटाने और सीवरों की सफाई के काम में लगाना मानवीय अधिकारों का घोर उल्लंघन है। तमिलनाडु सरकार द्वारा मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध एवं उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 के नियमों को अधिसूचित करने के बिलंब होने के बावजूद हालिया कदम को इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए। इन्सानों द्वारा ‘मैला ढोना’ भले ही पूरी तरह से प्रतिबंधित है, लेकिन नियम यांत्रिक उपकरणों की तैनाती संभव नहीं होने या मानवीय हस्तक्षेप बेहद जरूरी होने की विशिष्ट परिस्थितियों में इन्सान द्वारा सफाई की इजाजत देते हैं। लेकिन इस तरह की प्रक्रिया को अनुमति देने के लिए वैध कारण बताया जाना आवश्यक है। पर, इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके लिए सुरक्षात्मक उपकरणों की एक लंबी सूची का प्रावधान है जो किसी भी व्यक्ति को सीवर या सेप्टिक टैंक को साफ करते समय मुहैया कराया जाना चाहिए। इन उपकरणों में एयर लाइन ब्रीदिंग उपकरण, एयर लाइन रेस्पिरेटर, एयर प्यूरीफायर गैस मास्क, कृत्रिम श्वसन के लिए एक उपकरण, मास्क और श्वास तंत्र शामिल है। इसके अलावा, नियोक्ता द्वारा क्लोरीन मास्क, आपातकालीन चिकित्सा ऑक्सीजन रिससिटेटर किट, गैसों के लिए गैस मॉनिटर, हाइड्रोलिक उपकरण और प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करनी होगी। यह सूची उल्लेख किए गए उपकरणों तक ही सीमित नहीं है। नियमों में उपकरणों के नियमित रखरखाव को भी अनिवार्य किया गया है। स्वाभाविक रूप से, सभी कामगारों को सीवर लाइन में उतारने से पहले उन्हें सुरक्षा उपकरणों से लैस किया जाना चाहिए।
सभी नागरिकों के साथ मानवीय व्यवहार की शपथ लेने वाले किसी भी देश के लिए इन्सानों द्वारा सेप्टिक टैंकों और सीवरों की सफाई की प्रथा एक गंभीर चिंता का विषय रही है और जब तक यह प्रथा मौजूद है, यह चिंता हमेशा बनी रहेगी। चर्चा के दौरान हाथ से मैला ढोने या सफाई के क्रम में होने वाली मौतों की वास्तविक संख्या को लेकर भले ही तरह – तरह की बहानेबाजियां की जाती रहीं हैं, लेकिन सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान सरकार द्वारा स्वीकार की गई मौतों की संख्या बेहद चौंकाने वाली हैं। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अनुसार, वर्ष 1993 में मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार पर रोक लगाने वाला कानून लागू किए जाने के बाद से लेकर अबतक सीवर या सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान कुल 971 लोगों की जानें गईं हैं। तमिलनाडु इस सूची में अव्वल है। चूंकि सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान होने वाली मौतें तयशुदा रूप से हानिकारक गैसों की वजह से होती हैं, इन मौतों को रोकने के उपाय नहीं करना आपराधिक होगा। नियमों का उचित तरीके से अमल और पर्याप्त निगरानी नितांत जरूरी है। साथ ही, Download pdf to Read More