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बेरोजगारी के मुद्दें के इर्द-गिर्द हो रही बहस व्यर्थ है, क्योंकि 1947 के बाद से, बेरोजगारी भारत की श्रम शक्ति के 3-7 प्रतिशत के बीच रही है; लेकिन हमारी दरिद्रता, जो 1947 के बाद से हमारी आबादी के 25-75 प्रतिशत के बीच रही है और यह हमारी जरूरतों, इच्छाओं और आवश्यकताओं की परिभाषा के आधार पर आधारित है, के साथ इस गणितीय सटीकता का सामंजस्य स्थापित करने के लिए हमे 1920 के दशक में रूसी अर्थशास्त्री अलेक्जेंडर च्यानोव द्वारा प्रस्तावित "आत्म-शोषण" के सिद्धांत को समझने की आवश्यकता है। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू को यक़ीन दिलाया कि छोटे कृषि क्षेत्र उपयुक्त होते हैं, क्योंकि इसमें आपको अपने आप को किराए का भुगतान या अपने जीवनसाथी ...........
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