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संपादकीय

भारत और फ्रांस: एक अटूट संबंध

04.05.22 395 Source: Indian Express
भारत और फ्रांस: एक अटूट संबंध

भारत और फ्रांस के बीच सामरिक अभिसरण गहरा है। अभी हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने फ्रांस का दौरा किया हैं, इससे द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा मिलेगा और दोनों देश एक साथ अशांत अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य की समीक्षा कर सकेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने से न केवल भारतीय कूटनीति का एक अधिक उन्मत्त रूप सामने आया है, बल्कि इसके परिणामस्वरूप "व्यक्तिगत कूटनीति" भी देखने को मिली है। मोदी का मानना है कि वैश्विक नेताओं के साथ समय निकालने और व्यक्तिगत संबंधों में निवेश करने से राज्यों के बीच संबंधों में फर्क पड़ता है। उन्होंने वैश्विक नेताओं से जुड़ने और भारत के हित के लिए इसका लाभ उठाने हेतु काफी प्रयास किए हैं। वर्ष 2015 में हैदराबाद हाउस में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ "चाय पर चर्चा" को कौन भूल सकता है, जब मोदी वैश्विक कूटनीति के खेल में अपेक्षाकृत नए थे। दुनिया के नेताओं के साथ आठ साल तक लगातार बातचीत करने के बाद,मैं (लेखक) उन दो नेताओं के बारे में बताऊंगा जिनके साथ मोदी का संबंध वास्तव में करीबी और भरोसेमंद रहा है। इसमें से एक जापानी नेता शिंजो आबे हैं जो अब राजनीतिक जीवन से सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

दूसरे नेता फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों हैं। जून 2017 में, जब मैं भारतीय विदेश सेवा में 36 वर्षों के बाद सेवानिवृत्ति हो कर अपना बैग पैक कर रहा था, तब मुझे तत्कालीन विदेश सचिव और वर्तमान विदेश मंत्री एस. जयशंकर का फोन आया जिसमें मुझे सूचित किया गया कि प्रधानमंत्री फ्रांस का दौरा करेंगे। जल्द ही नवनिर्वाचित फ्रांसीसी नेता इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात करेंगे। यह मोदी की ओर से शानदार पहल था क्योंकि उस समय मैक्रों पूरी तरह से अनजान थे और मोदी चुनाव के बाद पेरिस में उनसे मिलने वाले पहले विदेशी नेताओं में से एक थे। मैक्रों ने 2014में मोदी की ही तरह फ्रांस के राष्ट्रपति पद पर स्थापित हुए थे। तब से, दोनों नेता कई मौकों पर मिले हैंऔर यह कहना उचित है कि वे एक-दुसरे से गर्मजोशी के साथ मिलते हैं।

भारत और फ्रांस के बीच सामरिक अभिसरण सिर्फ कहने मात्र तक ही सिमित नहीं है। यह बहुध्रुवीय विश्व में दोनों देशों के मौलिक विश्वास और सामरिक स्वायत्तता की अवधारणा पर आधारित है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि फ्रांस हर समय भारत के साथ खड़ा रहा है, जिसकी शुरुआत 1998 से हुई थी जब भारत ने परमाणु परीक्षण किए थे और पूरी दुनिया हमारे खिलाफ थी। तब से, भारत और फ्रांस ने अपनी रणनीतिक साझेदारी को इस हद तक गहरा कर दिया है कि आज के रिश्ते में वास्तव में कोई समस्या या अड़चन नहीं है।

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