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कल जब से पंजाब में विरोध प्रदर्शन के कारण एक फ्लाईओवर पर फंसे पीएम नरेंद्र मोदी के काफिले की सुरक्षा चूक हुई है। तब से इस बात को लेकर आरोप-प्रत्यारोप चल रहे हैं। जिसमें केंद्र का गृह मंत्रालय राज्य सरकार पर आरोप लगा रहा है, वही राज्य सरकार केंद्रीय जांच एजेंसी और एसपीजी के ऊपर दोष मढ़ रही है। प्रधानमंत्री के दौरे से पहले सुरक्षा योजना में क्या जाता है? कौन सी एजेंसियां शामिल हैं, और अगर योजना में कोई बदलाव होता है तो क्या होता है?*
कैसे होती है पीएम की सुरक्षा की प्लानिंग?
किसी भी दौरे के दौरान प्रधानमंत्री की सुरक्षा की योजना बनाना एक विस्तृत अभ्यास है जिसमें केंद्रीय एजेंसियां और राज्य पुलिस बल शामिल होते हैं। एसपीजी की ब्लू बुक में व्यापक दिशा-निर्देश निर्धारित किए गए हैं। किसी भी नियोजित यात्रा से तीन दिन पहले, एसपीजी (स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप), जो पीएम की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है, एक अनिवार्य एडवांस सिक्योरिटी संपर्क (एएसएल) रखता है, जिसमें संबंधित राज्य, राज्य पुलिस में इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारियों सहित संबंधित जिला मजिस्ट्रेट सभी लोग शामिल होते हैं। हर मिनट के विवरण पर चर्चा की जाती है। बैठक खत्म होने के बाद एएसएल रिपोर्ट तैयार की जाती है, जिसके आधार पर सुरक्षा के सारे इंतजाम किए जाते हैं।
बैठक के दौरान क्या तैयार किया जाता है?
आम तौर पर, एक पीएम की यात्रा में पहले अंतिम विवरण को तैयार किया जाता है और फिर उसी के अनुसार यात्रा कार्यक्रम के होने की उम्मीद की जाती है। बैठक में इस बात पर चर्चा की जाती है कि प्रधानमंत्री कैसे पहुंचेंगे (हवाई, सड़क या रेल मार्ग से) और, एक बार जब वह लैंड करेंगे, तो वे अपने कार्यक्रम स्थल (आमतौर पर हेलीकॉप्टर या सड़क मार्ग से) तक कैसे पहुंचेंगे। केंद्रीय एजेंसियों और स्थानीय खुफिया सूचनाओं को ध्यान में रखा जाता है।
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