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संपादकीय

भविष्य से समझौता

31.10.17 967 Source: INDIAN EXPRESS
भविष्य से समझौता

प्रकल्पित क्षति कार्रवाई योग्य हैं वास्तविक क्षति नहीं। हांलाकि, यह पुरानी है लेकिन सच है। ऐसा प्रतीत होता है कि विमुद्रीकरण के कारण 2,50,000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना जरूरी नहीं है, क्योंकि भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) का कहना है कि वह नीतिगत निर्णयों के खिलाफ नहीं जा सकते। इसके अलावा, कतारों में खड़े रहने वाले 100 से अधिक लोगों के लिए किसी को जिम्मेदार नहीं माना गया, जिससे उन लोगों को भी न्याय नहीं मिल सका या ----------- Download pdf to Read More