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संपादकीय

राज्यपाल बनाम सरकारः तमिलनाडु में शत्रुता

22.10.24 173 Source: The Hindu (21 October, 2024)
राज्यपाल बनाम सरकारः तमिलनाडु में शत्रुता

आपसी सौहार्द की छोटी-सी अवधि के बाद, तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि और मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन के बीच सियासी अदावत एक बार फिर उफान पर है। इस बार इसकी वजह बना प्रसार भारती के कार्यक्रम में राज्यगीत की गलत प्रस्तुति। वर्ष 1970 के दशक से 'तमिल थाई वझथु' को आधिकारिक कार्यक्रमों में आवाहन गीत के रूप में प्रस्तुत किया जाता था, जिसे दिसंबर 2021 में राज्य गीत घोषित किया गया। इसकी प्रस्तुति के दौरान एक संत के बैठे रहने के बाद, एक जज ने फैसला दिया कि ऐसा कोई वैधानिक या कार्यपालिकीय आदेश नहीं है जो इस गीत को बजाये जाने के समय वहां मौजूद लोगों का खड़ा होना जरूरी बनाता हो। राज्यपाल की उपस्थिति वाले कार्यक्रम में, 55 सेकेंड के इस राज्यगीत से 'द्रविड़ भूमि' की प्रशंसा वाला एक पद साफ तौर पर गायब कर दिया गया। हालांकि इसे अनजाने में हुआ बताया गया, लेकिन मंच पर इसे सुधारने की कोई कोशिश नहीं की गयी। ज्यादातर राजनीतिक दलों को यह नागवार गुजरा। स्टालिन ने पूछा रवि एक "राज्यपाल" हैं या एक "आर्य" और यह जानना चाहा कि क्या "द्रविड़ एलर्जी से ग्रस्त" राज्यपाल राष्ट्रगान से 'द्रविड़' शब्द हटाने का प्रस्ताव देंगे। कि राज्यपाल ने इस पर नाराजगी जतायी और "आर्य" के रूप में जिक्र किये जाने को "नस्लवादी" बताया। ऐसी व्याख्या वास्तव में राज्यपाल की इस सैद्धांतिकी के खिलाफ जाती है कि आर्य और द्रविड़ की अवधारणा, "नस्लीय के बजाय", मुख्यतः भौगोलिक विभाजन है। उन्होंने अपनी यह मान्यता प्रकट की थी कि अंग्रेजों ने अपनी जरूरतों के अनुकूल इसे "नस्लीय बनाया" था। रवि ने तर्क दिया कि उनके खिलाफ लगाये गये आरोपों से मुख्यमंत्री के उच्च संवैधानिक पद की गरिमा कम हुई है। यह सही है कि गायकों द्वारा एक पद के विलोपन को सीधे राज्यपाल से जोड़ना दूर की कौड़ी है। मगर, रवि ने 'द्रविड़' अवधारणा को बार-बार एक 'पुरानी पड़ चुकी विचारधारा' से जोड़ा है जिसने एक ऐसा पारितंत्र तैयार किया है जो "अलगाववादी भावना' को बढ़ावा देता है, और "एक भारत' के विचार को पसंद" नहीं करता। उन्होंने यह भी कहा है कि राज्य की द्वि-भाषा नीति का नतीजा भाषाई नस्लभेद के रूप में सामने आया। प्रसार भारती के कार्यक्रम में, उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले 50 सालों में तमिलनाडु के लोगों के जेहन में बहुत सारी विषाक्तता घोली गयी है। इस तरह के विचार यह धारणा पैदा करते हैं कि वह किसी भी द्रविड़ वीज के जिक्र के खिलाफ थे। इसके बावजूद, रवि पर सीधा आरोप लगाकर इस विवाद में पड़ना स्टालिन के लिए मुनासिब नहीं था। लेकिन ज्यादा बड़ा मुद्दा यह है कि राज्यपाल और सरकार के बीच जोर-आजमाइश का खामियाजा शासन (गवर्नेस) को भुगतना पड़ता है। राजनीतिक सक्रियता से उनके गहरे लगाव और सरकार की नीतियों के प्रति उनकी शत्रुता को देखते हुए, वक्त आ गया है कि रवि को हटाया जाए। उनके और मुख्यमंत्री के बीच के समीकरण सुधार से परे हैं। यह स्थिति राज्य की सेहत के लिए ठीक नहीं है और लोकतांत्रिक संस्थाओं को खतरे में डालती है।

  • तमिलनाडु सरकार ने 17 दिसंबर, 2021 को तमिल मातृभूमि की प्रशंसा में गाए जाने वाले गीत ‘तमिल थाई वजथु’ (Tamil Thai Vaazhthu) को ‘राज्य गीत’ घोषित किया था।
  • तमिलनाडु के राज्य गीत 'तमिल थाई वजथु' को मनोनमनियम सुंदरनार द्वारा लिखा गया है।
  • सरकार ने यह निर्देश भी दिया है कि सभी शैक्षणिक संस्थानों, सरकारी कार्यालयों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों सहित अन्य सार्वजनिक संगठनों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों की शुरुआत में गीत अनिवार्य रूप से गाया जाना चाहिए।
  • मुल्लईपानी रागम (मोहना रागम) में गीत को 55 सेकंड में गाया जाना चाहिए।
  • तमिलनाडु सरकार का यह निर्णय मद्रास उच्च न्यायालय के हालिया फैसले के बाद आया है, जिसमें उच्च न्यायालय ने कहा था कि ‘तमिल थाई वजथु’ केवल एक प्रार्थना गीत है। इसलिए, जब इसे गाया जाता है तो हर किसी को खड़े होने की आवश्यकता नहीं है।
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