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संपादकीय

उम्मीद की किरण: इजराइल-हमास समझौता

24.11.23 313 Source: November 23, The Hindu
उम्मीद की किरण: इजराइल-हमास समझौता

लड़ाई में एक ठहराव के बदले में बंधकों और फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करने का इजराइल और हमास के बीच हुआ समझौता गाजा पट्टी के उन 23 लाख लोगों को एक बहुत जरूरी मानवीय राहत प्रदान करता है, जो 7 अक्टूबर से अकथनीय दुखभरी जिंदगी जी रहे हैं। कतर की मध्यस्थता में हुई बातचीत में हुए समझौते के मुताबिक, हमास 50 नागरिक बंधकों को रिहा करेगा जबकि इजराइल 150 फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करेगा। दोनों पक्ष चार दिनों तक लड़ाई भी बंद रखेंगे। इजरायल की सरकार ने कहा है कि अगर हमास और ज्यादा संख्या में बंधकों को रिहा करता है, तो लड़ाई में ठहराव की अवधि को बढ़ाया जा सकता है। इस एलान से ज्यादा स्थायी युद्धविराम हासिल करने की उम्मीद की किरण दिखाई देती है। हमास ने 7 अक्टूबर को इजराइल में किए गए सीमा-पार हमले, जिसमें कम से कम 1,200 लोग मारे गए थे, के दौरान लगभग 240 बंधकों को पकड़ लिया था। जब इजराइल ने उसी दिन अपना जवाबी हमला शुरू किया, तो उसने “हमास को कुचल देने”, गाजा की ओर से पैदा होने वाले सुरक्षा संबंधी खतरों को हमेशा के लिए खत्म करने और बंधकों को मुक्त कराने का वादा किया। पिछले छह हफ्तों के दौरान, इजरायल के हमलों ने गाजा को एक कब्रिस्तान में तब्दील कर दिया है। इन जवाबी हमलों में कम से कम 13,000 फिलिस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें से अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं। लेकिन इजराइल ने साथ-ही-साथ बंधकों को मुक्त कराने के लिए हमास के साथ परोक्ष तरीके से बातचीत शुरू कर दी, जिसके परिणामस्वरूप वर्तमान समझौता हुआ।


लेकिन इतना काफी नहीं है। बमबारी, गोलाबारी एवं विस्थापन के शिकार और भोजन, ईंधन एवं दवाओं जैसे जरूरी सामानों की आपूर्ति से वंचित होने वाले गाजा के लोग तुरंत एक स्थायी युद्धविराम चाहते हैं। इजराइल ने शुरू में “हमास के आतंकवादियों” के साथ कोई भी बातचीत करने से इनकार कर दिया था और इस इस्लामी आतंकवादी समूह को मिटा देने का वादा किया था। हमास द्वारा फैलाए गए दहशत के मद्देनजर इजराइल का गुस्सा समझ में आता है। लेकिन इसके जवाब में, इंतकाम लेने वाला इजराइल सामूहिक रूप से गाजा के लोगों को सजा दे रहा है। कई इजरायली मंत्रियों ने परमाणु खतरों से लेकर दक्षिणी गाजा में महामारी का स्वागत करने जैसे खतरनाक और घिनौने बयान जारी किए हैं। लेकिन छह हफ्तों की लड़ाई के बाद, इजराइल अपने खुद के घोषित मकसदों को हासिल करने से कोसों दूर है। यह उसकी सैन्य रणनीति की कारगरता पर सवालिया निशान है। उसने गाजा की सबसे बड़ी चिकित्सा सुविधा अल-शिफा अस्पताल के नीचे हमास का कमांड सेंटर स्थित होने का आरोप लगाते हुए, उसपर हमला कर दिया। एक हफ्ते से भी ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी, इज़राइल ने अभी तक अपने इस दावे के समर्थन में कोई विश्वसनीय सबूत पेश नहीं किया है। लेकिन इजराइल और हमास के एक समझौते पर पहुंच जाने का तथ्य यह बताता है कि शोरशराबे भरे प्रचार और खूनी लड़ाई के बीच भी दोनों पक्ष उच्च एक-दूसरे के साथ संवाद के लिए तैयार हैं। उन्हें इस समझौते से पैदा हुए माहौल का फायदा उठाते हुए लड़ाई में आए इस ठहराव को आगे बढ़ाकर एक पूर्ण युद्धविराम में बदलना चाहिए। सभी बंधकों को रिहा कराने, फिलिस्तीनियों को स्थायी राहत प्रदान करने और पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव को शांत करने का यही एकमात्र तरीका है।

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