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जब हम 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त कर चुके थे, जैसे कि ब्रिटिश ने कनाडा और ऑस्ट्रेलिया और मलाया और केन्या जैसे उपनिवेशों पर अपना वर्चस्व स्थापित किया था, इसके बावजूद हम ब्रिटिश सरकार से विरासत में मिली नागरिक सेवा प्रणाली को अपनाते रहे हैं। प्रथम प्रधानमंत्री, जवाहरलाल नेहरू, यह जानते थे कि औपनिवेशिक नागरिक सेवा प्रणाली राजनीतिक रूप से स्वतंत्र, सामाजिक सामंती और आर्थिक रूप से गरीब देश के लिए यह अनुपयुत्तफ़ थी। ‘भारत का अंतिम वायसराय’ लॉर्ड माउंटबेटन ने इसके बारे में कुछ नहीं किया। हां, हमने हमारी सिविल सेवाओं का नाम बदल दिया, उन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) और भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा सेवा (आईएएएस) आदि बुलाने लगे, लेकिन अभ्यास में केवल थोड़ा बदलाव आया है। ................ Download pdf to Read More