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यदि हम उत्तर-पूर्व दिल्ली में सीलमपुर के संकीर्ण और भीड़भाड़ वाली गलियों में प्रवेश करते हैं तो अक्सर हमारा स्वागत जले हुए एल्यूमीनियम और धातु की एक मजबूत, तीखी गंध से होता है। इस क्षेत्र में साँस लेना ‘‘बाहरी लोगों’’ के लिए लगभग असहनीय है, लेकिन ताज्जुब तो इस बात का होता है कि सड़कों पर लोगों के चेहरे पर असुविधा का कोई संकेत नहीं है, जो फुटपाथ पर धातु के रद्दी ढेर के बीच बैठे रहते हैं। उस कथित क्षेत्र में रहने वाले लोग इस दुर्गन्ध के आदी हो गये हैं और स्वास्थ्य ऽतरों के बारे में लापरवाह हो गए हैं। ये लोग धातु के रद्दी के उसी जगह काम करते हैं जहाँ रसायनों का इस्तेमाल किया जाता हैं।............... Download pdf to Read More