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हालांकि, ऐतिहासिक रूप से यह शब्द भारत में संदर्भ के बाहर उद्धृत किया गया है और वर्तमान बहस भी कोई भिन्न नहीं है। यहां तक कि जब बात है कि सरकार विकास का समर्थन करने के लिए राजकोषीय ध्यानाकर्षण की योजना बना रही है, तो मजबूत असंतोषपूर्ण आवाजों का सुझाव है कि इससे स्थिति और भी खराब हो जाएगी। देखा जाये तो यह तुलना वर्ष 2008 के प्रोत्साहन के साथ किए जा रहे हैं और गंभीर चेतावनी जारी की जा रही हैं। हम मानते हैं कि वर्तमान स्थिति का निष्पक्ष मूल्यांकन होना चाहिए और वर्ष 2008 और वर्तमान स्थिति के बीच उचित तुलनात्मक अध्ययन की आवश्यकता है। यह हमारा दृढ़ विश्वास है कि एक काउंटर-चक्रीय राजकोषीय नीति विस्तार पर अच्छे से विचार किये जाने कभ् आवश्यकता है और इसे अतीत की गलत दिशा में राजकोषीय नीति के समान गलत नहीं समझा नहीं जाना चाहिए।.............. Download pdf to Read More