Live Classes
रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार नए प्रोटीन के निर्माण की असंभव जान पड़ने वाली उपलब्धि हासिल करने में सफल होने के लिए डेविड बेकर और अल्फाफोल्ड नाम के कृत्रिम बुद्धिमत्ता [आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस (एआई)] मॉडल को विकसित व उसका उपयोग करके प्रोटीन की जटिल संरचनाओं की भविष्यवाणी करने की आधी सदी पुरानी समस्या को हल करने के लिए डेमिस हसाबिस एवं जॉन एम. जम्पर को दिया गया है। किसी प्रोटीन की 3डी संरचना को निर्धारित करने के लिए सालों के श्रमसाध्य प्रयोगों की जरूरत होती थी। कई मामलों में तो प्रोटीन की संरचना सिर्फ आंशिक रूप से ही निर्धारित की जा सकी है। प्रोटीन के कार्य को निर्धारित करने की दिशा में उसकी संरचना का निर्धारण पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम होता है। प्रोटीन लंबे रिबन होते हैं जिनमें 20 अलग- अलग अमीनो एसिड बिल्डिंग ब्लॉक्स को असंख्य संयोजन बनाने के लिए क्रमिक रूप से व्यवस्थित किया जा सकता है। भले ही शोधकर्ता एक रिबन में अमीनो एसिड के अनुक्रम को जानते हों, वह रिबन प्रत्येक अनुक्रम के लिए मुड़ व खुद को मोड़ कर बेशुमार संख्या में संभावित आकृतियां ग्रहण कर सकता है, जिससे प्रोटीन की संरचना का निर्धारण बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाता है। मिसाल के तौर पर, अगर किसी प्रोटीन में सिर्फ 100 अमीनो एसिड होते हैं, तो वह प्रोटीन कम से कम 1,047 विभिन्न उडी संरचनाएं ग्रहण कर सकता है। कुछ साल पहले तक, इंसानों में पाए जाने वाले लगभग 20,000 प्रोटीनों में से सिर्फ एक तिहाई की संरचना ही प्रयोगात्मक स्तर पर आंशिक रूप से निर्धारित की गई थी। हसाबिस और जम्पर ने प्रोटीन संरचना की भविष्यवाणी को बच्चों का खेल बना दिया। अल्फाफोल्ड ने अब तक लगभग एक मिलियन प्रजातियों में लगभग सभी 200 मिलियन प्रोटीन की संरचना की भविष्यवाणी की है। बेकर ने प्रोटीन बनाने के लिए ऐसे कम्प्यूटरीकृत तरीके विकसित किए जो पहले मौजूद नहीं थे और "कई मामलों में, पूरी तरह से नए कार्य करते हैं"।
सन् 2018 में, हसाबिस और जम्पर ने प्रोटीन संरचना की भविष्यवाणी में 60 फीसदी की सटीकता हासिल की। सन् 2020 में, एआई मॉडल का प्रदर्शन एक्स-रे क्रिस्टलोग्राफी के साथ तुलनीय था। भले ही यह एआई मॉडल अभी भी पूरी तरह दुरुस्त नहीं है, लेकिन यह इस बात का अनुमान लगाता है कि जो संरचना तैयार की गई है वह कितनी सही है। इससे शोधकर्ताओं को भविष्यवाणी की विश्वसनीयता जानने की सुविधा मिलती है। अल्फाफोल्ड मॉडल का कोड 2021 से सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है और इस एआई उपकरण का इस्तेमाल 190 देशों के दो मिलियन से अधिक लोगों द्वारा किया गया है। बेकर ने अपने कंप्यूटर सॉफ्टवेयर रोसेटा का इस्तेमाल उन नए प्रोटीन का निर्माण करने के लिए किया, जो प्राकृतिक रूप से कभी अस्तित्व में नहीं थे। अमीनो एसिड के अनुक्रमों के आधार पर प्रोटीन की संरचना की भविष्यवाणी करने के बजाय, उन्होंने नई प्रोटीन संरचनाएं बनाई और सभी ज्ञात प्रोटीन संरचनाओं के डेटाबेस की खोज करके एवं वांछित संरचना के साथ समानता वाले प्रोटीन के छोटे टुकड़ों की तलाश करके अमीनो एसिड का अनुक्रम निर्धारित करने के लिए रोसेटा का इस्तेमाल किया। रोसेटा ने फिर इन टुकड़ों को अनुकूलित किया और अमीनो एसिड का एक अनुक्रम प्रस्तावित किया। हसाबिस और जम्पर की तरह ही, बेकर ने भी रोसेटा के कोड को मुफ्त उपलब्ध कराया ताकि शोधकर्ता सॉफ्टवेयर विकसित कर सकें और अनुप्रयोग के नए क्षेत्र को ढूंढ सकें।
Download pdf to Read More