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दिल्ली के लाजपत नगर में रविवार को एक नगरपालिका सीवर में तीन मजदूरों की मौत हो गई। 20 दिन पहले भी दिल्ली में एक जल संचयन गड्ढे में जहरीले धुएं श्वास लेने के कारण चार मजदूरों की मौत हो गई। इसके अलावा, मार्च में कुड्डालोर में तीन मजदूरों की मौत हो गई थी। उसी महीने बेंगलुरु में एक मैनहोल की सफाई करते हुए तीन लोगो की मौत हो गयी। साथ ही फरवरी में मुंबई में, सीवेज या नाले में सड़न की वजह से उत्पन्न विषैले गैसों द्वारा तीन लोगो की मृत्यु हो गई। मैनहोल कई दशकों से सीवेज श्रमिकों के लिए मौत का कारण बना हुआ हैं। स्वच्छ भारत मिशन द्वारा सफाई व्यवस्था का उद्देश्य अपने लक्ष्य से भटक गया है। यहाँ सबसे अधिक बड़ी समस्या तो यह है कि मैनुअल स्कैवेंजर्स और उनके पुनर्वास अधिनियम, 2013 के होने के बावजूद नगरपालिकाओं या नालियों को साफ करने के लिए अनुबंधित एजेंसियों ने श्रमिकों को सुरक्षात्मक उपकरण प्रदान नहीं किया जिसके कारण उन मजदूरों को कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, हाइड्रोजन सल्फाइड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी जहरीली गैसों का सामना करना पड़ता है।..................... Download pdf to Read More