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केन्द्र को स्पाइवेयर के इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा शुरू की गई जाँच में पूरा सहयोग करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश इजरायली स्पाइवेयर ‘पेगासस’ के संभावित उपयोग की एक स्वतंत्र जांच की स्थापना करना तथा नागरिकों को गैरकानूनी निगरानी से बचाने के लिए एक प्रभावी हस्तक्षेप है।
साथ ही यह आदेश श्राष्ट्रीय सुरक्षाश् के दलदल का उपयोग करके हर मुद्दे को कवर करने के सरकार के प्रयास के लिए एक कड़ी टिप्पणी है। पहले दिन से ही यह स्पष्ट हो गया था कि इस खुलासे के बाद कि कथित रूप से निगरानी के लिए पहचाने गए 50,000 फोन नंबरों में से लगभग 300 भारतीयों के थे, कि सरकार विश्वसनीय जांच को रोकने या सुविधा प्रदान करने के बजाय इसे खुला रखना पसंद करेगी। अंततः सरकारी एजेंसियों के लिए स्पाइवेयर उपलब्ध था या नहीं, यह स्वीकार किए बिना किसी भी गलत काम से पूरी तरह इनकार करने की इसकी रणनीति विफल रही। भारत के मुख्य न्यायाधीश, एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा 46-पृष्ठ का आदेश दो स्पष्ट सिद्धांतों की घोषणा करता है............
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