🌍 शांति का नोबेल पुरस्कार 2025 — लोकतंत्र की लौ जलाने वाली वेनेजुएला की ‘मारिया कोरिना मचाडो’
“अंधकार के बीच जिसने लोकतंत्र की लौ जलाए रखी — वही शांति की सच्ची वाहक है।”
— नॉर्वेजियन नोबेल समिति, 2025
🕊️ नोबेल पुरस्कार: मानवता के उत्कर्ष का प्रतीक
नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) विश्व के सबसे प्रतिष्ठित सम्मानों में से एक है।
इसकी स्थापना स्वीडिश वैज्ञानिक, रसायनज्ञ और डायनामाइट के आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल (Alfred Nobel) की 1895 की वसीयत से हुई।
उन्होंने अपने जीवन के अंतिम वर्षों में यह निर्णय लिया कि उनकी सम्पत्ति का बड़ा हिस्सा एक ऐसी संस्था को दिया जाए जो हर वर्ष उन व्यक्तियों या संगठनों को सम्मानित करे जिन्होंने —
“मानवता की सेवा में सबसे अधिक योगदान दिया हो।”
नोबेल पुरस्कार के छह क्षेत्र हैं:
- भौतिकी (Physics)
- रसायन (Chemistry)
- चिकित्सा (Physiology or Medicine)
- साहित्य (Literature)
- शांति (Peace)
- (और 1969 में जोड़ा गया) अर्थशास्त्र (Economic Sciences)
🏛️ शांति का नोबेल पुरस्कार (Nobel Peace Prize): उद्देश्य और प्रक्रिया
यह पुरस्कार हर वर्ष नॉर्वेजियन नोबेल समिति (Norwegian Nobel Committee) द्वारा दिया जाता है — एक स्वतंत्र संस्था जो नॉर्वे की संसद (Stortinget) द्वारा नियुक्त पाँच सदस्यों से मिलकर बनी होती है।
🔹 नामांकन (Nomination)
- नामांकन के लिए विश्वभर के सांसद, प्रोफेसर, न्यायाधीश, पूर्व विजेता, और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएँ अधिकृत होती हैं।
- ये नामांकन गोपनीय रखे जाते हैं, लेकिन अक्सर अनुमान और चर्चाएँ मीडिया में सुर्खियाँ बनती हैं।
🔹 चयन प्रक्रिया
- समिति नामांकनों की समीक्षा करती है, रिपोर्ट तैयार करती है,
और फिर गहन विचार के बाद अक्टूबर में विजेता की घोषणा करती है। - पुरस्कार औपचारिक रूप से दिसंबर में ओस्लो (Oslo, Norway) में प्रदान किया जाता है।
🔹 पुरस्कार राशि
2025 में शांति के नोबेल पुरस्कार की राशि 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (लगभग ₹8.5 करोड़) है।
(स्रोत: Times of India, NobelPrize.org)
⚖️ इतिहास की गूँज: जब नोबेल बना प्रेरणा और विवाद दोनों
नोबेल शांति पुरस्कार के इतिहास में कई अध्याय ऐसे रहे हैं जिन्होंने विश्व राजनीति, कूटनीति और मानवता की दिशा बदल दी।
🕊️ प्रेरणा के उदाहरण
- मार्टिन लूथर किंग जूनियर (1964) — नस्लीय भेदभाव के खिलाफ अहिंसक संघर्ष के लिए।
- नेल्सन मंडेला और एफ. डब्ल्यू. डी क्लार्क (1993) — दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद समाप्त करने के लिए।
- मलाला युसूफजई (2014) — बालिकाओं की शिक्षा के अधिकार के लिए।
⚡ विवादों की झलक
- महात्मा गांधी को कई बार नामांकित किया गया, पर उन्हें कभी यह पुरस्कार नहीं मिला।
बाद में स्वयं समिति ने स्वीकार किया — “गांधी को न देना हमारी सबसे बड़ी गलती थी।”
(स्रोत: NobelPrize.org) - कुछ आलोचक कहते हैं कि चयन प्रक्रिया में “राजनीतिक झुकाव” या “अंतरराष्ट्रीय दबाव” का असर दिखता है।
(स्रोत: Atlantic Council)
🇮🇳 भारत और शांति का नोबेल पुरस्कार
भारत ने भी मानवता और शांति के क्षेत्र में अमिट छाप छोड़ी है।
| विजेता | वर्ष | कार्यक्षेत्र |
|---|---|---|
| मदर टेरेसा | 1979 | गरीबों और बीमारों की सेवा के लिए |
| कैलाश सत्यार्थी | 2014 | बाल श्रम और शोषण के खिलाफ अभियान |
कैलाश सत्यार्थी और मलाला युसूफजई को संयुक्त रूप से यह सम्मान मिला था —
“बच्चों के अधिकार और शिक्षा की लड़ाई के लिए।”
(स्रोत: Wikipedia)
🌎 2025: मारिया कोरिना मचाडो — लोकतंत्र की लौ
👩⚖️ कौन हैं मारिया कोरिना मचाडो?
मारिया कोरिना मचाडो वेनेजुएला की ‘आयरन लेडी’ कही जाती हैं।
वे देश की एक प्रमुख विपक्षी नेता, मानवाधिकार कार्यकर्ता और “Vente Venezuela” पार्टी की संस्थापक हैं।
उन्होंने अपने देश में तानाशाही शासन के विरुद्ध शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक आंदोलन का नेतृत्व किया।
उनका मिशन था —
“नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा, और वेनेजुएला को फिर से लोकतंत्र के मार्ग पर लाना।”
(स्रोत: The Times of India)
🏅 क्यों मिला उन्हें 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार?
नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने कहा:
“यह पुरस्कार ऐसी महिला को दिया जा रहा है, जो शांति की साहसी समर्थक हैं —
एक ऐसी महिला जिसने अंधकार के बीच लोकतंत्र की लौ जलाए रखी है।”
उनके संघर्ष ने दिखाया कि —
“लोकतंत्र केवल सत्ता का नहीं, बल्कि शांति का भी माध्यम है।”
मारिया मचाडो ने तानाशाही के विरुद्ध न्यायपूर्ण, अहिंसक और नैतिक संघर्ष का उदाहरण प्रस्तुत किया।
उनका संदेश था —
“तानाशाही के विरुद्ध प्रतिरोध, यदि नैतिकता और शांति पर आधारित हो, तो परिवर्तन संभव है।”
(स्रोत: The Times of India, Reuters)
💬 पुरस्कार का व्यापक संदेश
मारिया मचाडो की जीत एक वैश्विक प्रतीक है —
- यह बताता है कि लोकतंत्र केवल चुनाव नहीं, बल्कि मानवीय गरिमा का अधिकार है।
- यह प्रेरणा देता है उन सभी को जो दमन, सेंसरशिप या अन्याय के खिलाफ खड़े हैं।
- यह विश्व को याद दिलाता है कि संवाद और शांति, हथियारों और हिंसा से कहीं अधिक प्रभावशाली हैं।
🔍 निष्कर्ष — जब पुरस्कार बन जाता है आंदोलन
शांति का नोबेल पुरस्कार केवल एक सम्मान नहीं, बल्कि एक संदेश है —
“मानवता की रक्षा करो, अन्यथा सत्ता और हिंसा तुम्हें निगल लेगी।”
मारिया मचाडो की जीत यह साबित करती है कि साहस, सत्य और लोकतंत्र के पक्ष में खड़ा होना ही शांति की नींव है।
परंतु यह भी सत्य है —
“पुरस्कार देना आसान है, पर शांति बनाए रखना कठिन।”
आज जब दुनिया यूक्रेन युद्ध, मध्यपूर्व संकट, और लोकतांत्रिक अस्थिरता से जूझ रही है —
ऐसे में इस पुरस्कार का महत्व और बढ़ जाता है।
📚 संदर्भ सूची (References)
- Who is Maria Corina Machado? Winner of 2025 Nobel Peace Prize – Times of India
- Nobel Peace Prize 2025: Maria Corina Machado honoured for working for democratic rights in Venezuela – Times of India
- Nobel Peace Prize 2025: Venezuela’s ‘Iron Lady’ Maria Corina Machado is the winner – Times of India
- Mahatma Gandhi – The Missing Laureate – NobelPrize.org
- 2014 Nobel Peace Prize – Wikipedia
- Nobel Peace Prize for Less Than Noble Reasons – Atlantic Council
- About the Nobel Peace Prize – NobelPrize.org

